रांची। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार को कहा कि उसने पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) के आतंक की फंडिंग के मामले में पिछले दो दिनों में राज्य से भारी मात्रा में विस्फोटक, हथियार और गोला-बारूद जब्त किया है। एजेंसी ने बताया कि झारखंड पुलिस की मदद से छापेमारी की गई।
- दिनेश गोप ने किया जंगल में एनआईए का नेतृत्व
इस मामले में 21 मई को दिनेग गोप को गिरफ्तार किया था। वह इसके बाद से एनआईए की हिरासत में है। उसके द्वारा किए गए खुलासे के बाद सोमवार और मंगलवार को खूंटी, गुमला और सिमडेगा जिलों से विस्फोटकों की जब्ती की गई। दिल्ली में पकड़े जाने से पहले गोप फरार चल रहा था। गोप ने गुमला के एक जंगल में भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद का जखीरा करने के लिए एनआईए का नेतृत्व किया था।
- महुआटोली की वन पहाड़ी दो आईईडी जब्त
प्रवक्ता ने बताया कि एनआईए और झारखंड पुलिस ने सोमवार को खूंटी के रनिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत झरियाटोली, गरई से करीब 62.3 किलोग्राम जिलेटिन और 5.56 मिमी की 732 गोलियां बरामद कीं। उसी दिन गुमला के कामडारा इलाके के किसनी गांव से एक पिस्तौल, 5.56 मिमी गोला-बारूद की 11 गोलियां और .303 गोला-बारूद की 30 गोलियां जब्त की गई थीं। इसके बाद मंगलवार को सिमडेगा में महाबुआंग पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत महुआटोली की वन पहाड़ी से दो आईईडी भी जब्त किए गए थे।
- भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद
एनआईए ने कहा कि एक सप्ताह से भी कम समय में इस तरह की यह तीसरी बरामदगी है। गोप की गिरफ्तारी के बाद मामले की निरंतर जांच के परिणामस्वरूप 26 मई को भारी मात्रा में गोला-बारूद (7.62 मिमी की 1,245 गोलियां और 5.56 मिमी की 271 गोलियां) जब्त किया गया। एजेंसी ने खूंटी जिले के गोपे उर्फ कुलदीप यादव के खिलाफ प्रतिबंधित माओवादी संगठन पीएलएफआई के गुर्गे के पास से चलन से बाहर हो चुके 25.38 लाख रुपये के नोटों की बरामदगी से संबंधित मामले में आरोपपत्र दायर किया था।
- झारखंड सरकार ने सिर पर रखा था 25 लाख का इनाम
इसके बाद से गोप फरार था और आखिरकार 21 मई को एनआईए ने उसे गिरफ्तार कर लिया। 22 मई को एक विशेष अदालत ने उसे एनआईए की हिरासत में भेज दिया था। एनआईए ने दिनेश गोप की गिरफ्तारी के लिए सूचना देने वाले को पांच लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी। वहीं, झारखंड सरकार ने 25 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की थी। एनआईए की जांच से पता चला कि गोप पीएलएफआई टीम के सदस्यों के जरिए व्यापारियों, ठेकेदारों और जनता को आतंकित करने और डराने के लिए पैसे वसूलता था और हमलों को अंजाम देता था।
- सैकड़ों आतंकी घटनाओं के जिम्मेदार पीएलएफआई
एनआईए की जांच के अनुसार, पहले झारखंड लिबरेशन टाइगर्स (जेएलटी) के नाम से जाना जाने वाला पीएलएफआई झारखंड, बिहार और ओडिशा में सैकड़ों आतंकी घटनाओं के लिए जिम्मेदार है, जिसमें हथियारों के इस्तेमाल से कई हत्याएं शामिल हैं। यह संगठन बेरोजगार युवाओं को मोटरसाइकिल, मोबाइल फोन और पैसे देकर लुभाता था।