JoharLive Desk
जम्मू। जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के बाद भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ आई जस्टर समेत 15 देशों के राजनयिक मौजूदा स्थिति का जायजा लेने श्रीनगर पहुंचे हैं। दिल्ली में रहने वाले ये राजनयिक श्रीनगर पहुंचे, जहां अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। इसके बाद भारतीय सेना के चिनार कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने इस प्रतिनिधिमंडल को सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में जानकारी दी।
ये सभी राजनयिक दौरे के दौरान उपराज्यपाल जीसी मुर्मू और सिविल सोसायटी के सदस्यों से मुलाकात करेंगे। अमेरिका के अलावा प्रतिनिधिमंडल में बांग्लादेश, वियतनाम, नार्वे, मालदीव, दक्षिण कोरिया, मोरक्को, नाइजीरिया और अन्य देशों के राजनयिक भी शामिल हैं। ब्राजील के राजदूत को भी राज्य के दौरे पर जाना था लेकिन दिल्ली में अपनी व्यस्तता के चलते उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया।
वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में 15 विदेशी दूतों की यात्रा को भारत सरकार द्वारा सुविधा प्रदान की जा रही है। इस प्रतिनिधिमंडल में अमेरिका, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, बांग्लादेश, मालदीव, मोरक्को, फिजी, नॉर्वे, फिलीपींस, अर्जेंटीना, पेरू, नाइजीरिया, टोगो और गुयाना के राजनयिक शामिल हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि राजनयिकों की पहली बैठक सुरक्षा अधिकारियों के साथ हुई। इस दौरान उन्होंने घाटी में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जानकारी हासिल की है। उन्होंने बताया कि राजनयिकों की इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा स्थिति को सामान्य करने के लिए किए गए प्रयासों को जानना है।
यूरोपीय संघ के देशों के राजनयिकों ने सरकार को अवगत कराया कि वे किसी अलग तिथि को इस केंद्र शासित राज्य का दौरा करेंगे। साथ ही इन देशों के राजनयिकों ने तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से भी मुलाकात कराने पर जोर दिया है जिस पर सरकार विचार कर रही है।
अधिकारियों के मुताबिक, बृहस्पतिवार को राज्य के दौरे पर जाने वाले राजनयिक सिविल सोसायटी के सदस्यों से मुलाकात करेंगे और उन्हें विभिन्न एजेंसियों द्वारा राज्य के सुरक्षा हालात के बारे में भी अवगत कराया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि कई देशों के राजनयिकों ने सरकार से कश्मीर के दौरे का अनुरोध किया था। यह दौरा कश्मीर पर पाकिस्तान के प्रोपगेंडा की हकीकत से विदेशी राजनयिकों को अवगत कराने की सरकार की कोशिशों के तहत हो रहा है।