Joharlive Team
पाँच दिवसीय महापर्व दीपावली में एक दिन धनतेरस का भी होता है इस बार धनतेरस 25 अक्टूबर शुक्रवार को है। धनतेरस की पूजा कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है इस दिन भगवान धन्वन्तरि समुन्दर मंथन से अपने हांथों में अमृत का कलश और अयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान धन्वन्तरि अपने हाथ में आयूर्वेद लेकर आये थे इसलिए इन्हें औषधि के जनक भी माना जाता है इस दिन धन और आरोग्य के लिए भगवान धन्वन्तरि और कुबेर की पूजा की जाती है जिससे स्वास्थ्य वृद्धि एवम् धन वृद्धि होती है। धनतेरस को सौभाग्य का सूचक माना जाता है इस दिन पूजा करने से धन में तेरह गुना वृद्धि होती है तथा संवृद्धि, खुशियाँ और सफलता मिलती है यह दिन सोना-चांदी, वाहन, ज़मीन, निवेश एवम् नए उद्योग की शुरुआत के लिए बहुत ही शुभ होता है। धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त : सूर्यास्त के 2 घंटे 24 मिनट की अवधी को प्रदोष काल माना जाता है इस काल में दीप दान और पूजन करना शुभ माना जाता है।। धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त- शाम 07.08 बजे से रात 8.14 बजे तक है। प्रदोष काल- शाम 5.39 से 8.14 बजे तक धनतरेस पर लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में करना शुभ माना जाता है। चौघड़ियाँ काल में कभी भी लक्ष्मी पूजा कर सकते हैं। शुभ मुहूर्त
चर – 06:32 से 07:55
लाभ – 07:55 से 09:18
अमृत – 09:18 से 10:42
शुभ – 12:05 से 01:28
चर – 04:15 से 05:38 शुभ काल की मुहूर्त की शुभता से धन, स्वास्थ्य एवम् आयु में शुभता आती है। पूजा विधि : धनतेरस की पूजा शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए इस दिन भगवान् कुबेर के साथ माता लक्ष्मी और श्री गणेश की भी पूजा की जाती है। धुप,दीप, नैवेद से पूजा के बाद बाद 13 दीप जला कर तिजोरी में भगवन कुबेर की पूजा की जाती है पूजा के पश्चात इस मन्त्र का जाप करना चाहिए- ” यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन- धान्य अधिपतये धन- धान्य संवृद्धि में देहि दापय स्वाहा” यम दीप दान : धनतेरस की शाम वृष कुम्भ योग है और चन्द्रमा कन्या राशि के रहेंगे तथा सोम प्रदोष भी है उस दिन मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीया दक्षिण दिशा की और यम के नाम का जलाया जाता है जिससे परिवार में आकाल मृत्यु और अकारण भय से मुक्ति मिलती है। यह दीया संध्या 05: 00 से 08: 00 बजे के बीच में जलाना है। यम दीप दान की एक पौराणिक कथा भी है – एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि प्राणियों को मृत्यु की गोद में सुलाते समय तुम्हारे मन में कभी दया का भाव नहीं आता क्या तो उन्होंने कहा कि एक बार राजा हेमा के ब्रह्मचारी पुत्र का प्राण लेते समय उसकी नवविवाहिता पत्नी का विलाप सुनकर हमारा हृदय भी पसीज गया लेकिन विधि के विधान के अनुसार हम चाह कर भी कुछ न कर सके।एक दूत ने बातों ही बातों में तब यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है क्या। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यम देवता ने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आँगन में यम देवता के नाम पर दीप जलाकर रखते हैं। इस दिन लोग यम देवता के नाम पर व्रत भी रखते हैं। धनतेरस के दिन राशि अनुसार क्या ख़रीदे : इस दिन 12 राशियों को अक्षय संचय के रूप में चांदी खरीदना चाहिए क्योकि चांदी चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है जिससे मन में संतोष रूपी घन का वास होता है। राशिनुसार खरीदारी, पूजन एवं मन्त्र – मेष : स्वर्ण, ताम्बे और मिट्टी की वास्तु खरीदें इस राशि के जातक भगवान धनवंतरी को लाल रंग के पुष्प, लाल वस्त्र और लाल मिठाई अर्पित करनी चाहिए। भगवान धन्वन्तरि का इस मन्त्र से पूजन करें ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूपश्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥ वृषभ : हीरा, चांदी और फेसनेवल वास्तु खरीदें। वृष राशि के जातकों को कुबेर जी को सफेद रंग पुष्प और सफेद रंग की मिठाई अवश्य अर्पित करनी चाहिए। साथ ही जातकों को पूजा के समय इस मन्त्र का जप करना चाहिए।। ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा। मिथुन : कांसा, चांदी, पन्ना और महिलाये हरी रंग की चूड़ियाँ और हरी वास्तु खरीदें। मिथुन राशि के जातको को इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा कर भगवान गणेश को दूर्वा और माता लक्ष्मी को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए। साथ ही भगवान गणेश के मंत्र ऊं गं गणपतये नम : और माता लक्ष्मी के मंत्र ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम: मन्त्र का जाप करना चाहिए। कर्क : चांदी, मोती तथा घर पर श्यामा तुलसी के पौधे लगाये। कर्क राशि के जातको को धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी की पूजा में अबीर, रोली और पीले रंग के पुष्प अर्पित करें। पूजा के बाद ऊं रं रूद्र रोग नाशाय धनवंतर्ये फट्।। मन्त्र का जप करें। सिंह : ताम्बा, सोना तथा सफ़ेद वस्त्र खरीदें। सिंह राशि के जातको को धनतेरस के दिन भगवान विष्णु पूजा कर विष्णु जी को पीले रंग की वस्तुएं अर्पित करके गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाना और ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः मन्त्र का जप करें। कन्या : चांदी,कांसा,पन्ना जड़ित आभूषण तथा इलेक्ट्रिक वास्तु खरीदें। इस राशि के जातको को धनतेरस के दिन भगवान कुबेर को पंचामृत से स्नान कराकर मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए। और ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम: मंत्र का जप करना चाहिए। तुला : चांदी, हिरा एवं वाहन खरीदें। धनतेरस के दिन तुला राशि के जातको को मां लक्ष्मी की पूजा कर मां लक्ष्मी को कमल पुष्प अर्पित कर खीर का भोग लगाना चाहिए। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम: मंत्र का जप करना चाहिए।। वृश्चिक : ताम्बा, मिट्टी एवम् सोना की वास्तु। वृश्चिक राशि के जातको को धनतेरस के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा कर गेंदे का पुष्प और दक्षिणावृत्ति शंख गंगा जल भरकर अर्पित करें और ऊं नमों भगवते वासुदेवाय नम : का जप करें। धनु : पीतल , सोना की वास्तु खरीदें। धनतेरस के दिन धनु राशि के जातको को भगवान धनवंतरी की पूजा कर पीले रंग के पुष्प व पीले रंग की मिठाई अर्पित करके उनके ॐ धन्वंतरये नमः मंत्र का जप करना चाहिए। मकर : हांथी दाँत की बानी वास्तु मशीनरी सामान एवम् पंचधातु की वास्तु । मकर राशि के जातको को भगवान कुबेर की पूजा कर नीले रंग के पुष्प व मिठाई अर्पित करें। इसके बाद ॐ वैश्रवणाय स्वाहा: मंत्र का जप करें। कुम्भ : हांथी दाँत की बानी वास्तु मशीनरी सामान एवम् पंचधातु की वास्तु। कुंभ राशि के जातको को धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी की विधिवत पूजा करनी चाहिए और ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूपश्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥ मंत्र का जप करना चाहिए। मीन : पीतल, सोना एवम् पीला वस्त्र। धनतेरस के दिन मीन राशि के जातको को भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा कर लाल रंग के पुष्प सफेद रंग के मिष्ठान अर्पित करने चाहिये। ॐ धन्वंतरये नमः मंत्र का जप करना चाहिए।