रांची। शीर्ष माओवादी नेताओं का शरणस्थली और पिछले तीन दशकों से हिंसक नक्सली वारदातों का साक्षी बूढा पहाड़ पर डीजीपी नीरज सिन्हा अपनी पूरी टीम के साथ पहुंचे। विगत कई वर्षों से सुरक्षाबलों का प्रयास सफल होता दिख रहा है। अभियान के दौरान सुरक्षाबलों को काफी नुकसान उठाना पड़ता था।
लेकिन फिर भी अभियान थमा नहीं। नक्सलियों ने पहाड़ तक पहुंचने वाले हर रास्ते पर आईईडी बम बिछा रखा था। लेकिन पिछले 1 साल से रणनीति पूर्वक सुरक्षाबलों द्वारा संयुक्त अभियान चलाकर कारगर साबित हुआ। कई दशकों के अथक प्रयास के बाद नक्सलियों के कब्जे में रहे बूढ़ा पहाड़ को लगभग मुक्त करा लिया गया है।
इस मौके पर एडीजी अभियान संजय लाटकर, आईजी सीआरपीएफ अमित कुमार, आईजी अभियान अमोल वेणुकान्त होमकर, एसपी शिवानी तिवारी मौजूद थे। बूढा पहाड़ पहुंच कर डीजीपी ने कैम्प का किया निरक्षणझारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के संयुक्त बलों की इस सफलता पर डीजीपी नीरज सिन्हा बूढा पहाड़ पहुंच कर कैम्प का निरीक्षण किए।
वहीं, उन्होंने जवानों को पुरुस्कृत और सम्मानित कर हौसला बढ़ाया है। स्थानीय ग्रामीणों से साथ मिलकर उनकी समस्याओं से रूबरू होते हुए उसका निराकरण कर उन्हें आश्वस्त किया कि अब ना सिर्फ नक्सलियों के भय से मुक्त है। बल्कि सुरक्षा बलों के द्वारा उन्हें पूरा सुरक्षा भी प्रदान किया जाएगा।
डीजीपी नीरज सिन्हा ने ग्रामीणों के बीच रोजमर्रा की वस्तुओं का वितरण भी किया। नक्सली यहां अपना पुणे ठिकाना ना बना पाए इसके लिए आवश्यक है कि सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित रहे। पूरे इलाके के ग्रामीणों के लिए अस्पताल, स्कूल, सड़क इत्यादि मूलभूत सुविधाओं का निर्माण प्रारंभ हो रहा है।रणनीति के तहत पहले बनाया कैम्पझारखंड पुलिस द्वारा चलाये जा रहे अभियान ऑपेरशन ऑक्टोपस में सुरक्षाबलों को कई सफलता मिल रही है।
पहली बार सुरक्षाबलों में बूढा पहाड़ में प्रवेश कर कैम्प बनाया है। रणनीति के तहत पूरे कैम्प का निर्माण हो रहा है। इससे पूर्व कैम्प तक आने के लिए रास्ता और नदी पर पुल बनाया है।