JoharLive Team

रांची। पुलिस मुख्यालय में डीजीपी कमल नयन चौबे ने सरायकेला में तबरेज अंसारी की मॉब लिंचिंग के बाद पहली बार मॉब लिंचिंग के कांडों की समीक्षा की है। डीजीपी ने सभी जिलों के एसपी व जोनल आईजी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए निर्देश दिया है गया कि वह प्राथमिकता के आधार पर मॉब लिंचिंग केस का अनुसंधान पूरा करें।

साल 2017 व उससे पहले के सारे कांडों के अनुसंधान को पूरा करने की डेडलाइन भी पुलिस मुख्यालय ने तय की है। डीजीपी ने जिलों के एसपी को आदेश दिया है कि दो साल या उससे पुराने सारे केस का अनुसंधान एक माह में पूरा करें। अनुसंधान पूरा होने के बाद मॉब लिंचिंग के केस को फास्ट ट्रैक गठित करने की अनुशंसा भेजने का निर्देश भी डीजीपी ने दिया है।

स्पीडी ट्रायल व सभी जिलों के पुलिस के द्वारा की जा रही अनुसंधान की मॉनिटरिंग सीआईडी को करने का निर्देश भी डीजीपी ने दिया है। पुलिस मुख्यालय में हुई समीक्षा बैठक में डीजी मुख्यालय पीआरके नायडू, सीआईडी एडीजी अनुराग गुप्ता, एडीजी अभियान मुरारीलाल मीणा, आईजी मानवाधिकार नवीन कुमार सिंह, आईजी ऑपरेशन आशीष बत्रा समेत कई आला अधिकारी मौजूद थे।

39 में चार कांड के 51 अभियुक्तों को हुई है सजा

समीक्षा के दौरान लंबित कांडों का अनुसंधान पूरा करने का निर्देश दिया गया है। पुलिस प्रवक्ता सह आईजी ऑपरेशन आशीष बत्रा ने बताया कि मॉब लिंचिंग के मामले में बीते तीन सालों में चार कांड के 51 आरोपियों को पुलिस ने सजा दिलवायी है। लोहरदगा के कैरो थाना के काण्ड संख्या 09/16 में कुल-22, रामगढ़ थाना काण्ड संख्या-198/17 में कुल-11, बालूमाथ (लातेहार) थाना काण्ड संख्या-42/16 में कुल-08 तथा चन्द्रपुरा (बोकारो) थाना काण्ड संख्या-46/17 में कुल-10 अभियुक्तों को सजा सुनाई गयी है।

जिलवार समीक्षा करें डीआईजी

समीक्षा के दौरान सभी जोनल डीआईजी को आदेश दिया गया है कि वह अपने अधीन के जिलों में लंबित मामलों की निरंतर समीक्षा करें। प्रत्येक तीन माह पर मॉब लिंचिंग के केस की समीक्षा मुख्यालय स्तर पर की जाएगी।

नोडल एसपी संवेदनशील जगहों को करें चिन्हित

समीक्षा के दौरान जिलों में बनाये गये नोडल पदाधिकारियों सहित सम्बन्धित जिला के एसपी को मॉब-लिंचिग के संभावित स्थानों/क्षेत्रों को चिन्हित करने का निर्देश दिया गया। डीजीपी ने मॉब लिंचिंग रोकथाम और ऐहतियातन कार्रवाई के लिए प्रत्येक माह में अपने स्तर से मामलों एवं हालात की निरन्तर मॉनिटरिंग करने व ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए रेडियो, टेलीविजन, अन्य इलेक्ट्रोनिक मीडिया एवं बैनर/पोस्टर के माध्यम से प्रचार-प्रसार कराने निर्देश भी दिया है।

Share.
Exit mobile version