रांची: अंतिम सोमवारी को लेकर शिवालयों में श्रद्धालुओं में काफी उत्साह है. देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम, दुमका के बासुकीनाथ मंदिर में जहां सुबह से ही हजारों श्रद्धालु जलाभिषेक कर रहे हैं, वहीं रांची के पहाड़ी मंदिर, खूंटी के अमरेश्वर धाम में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा है. अहले सुबह से ही भक्त भगवान भोले की पूजा के लिए कतारबद्ध होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं..
ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव की पहली पत्नी देवी सती ने जब अपने पिता के घर पर अपने पति शिव का अपमान होते देखा तो वो बर्दाश्त नहीं कर पाईं और राजा दक्ष के यज्ञकुंड में अपनी आहूति दे दी. इसके बाद उन्होंने हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया. पार्वती के रूप में भी उन्होंने भगवान शिव को भी अपना वर चुना और उनकी प्राप्ति के लिए कठोर तप किया.
सावन के महीने में ही भगवान शिव उनके तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया. इसके बाद पार्वती का भगवान शिव के साथ विवाह हुआ. तब से ये पूरा सावन माह शिव और पार्वती दोनों का प्रिय माह बन गया. सोमवार का दिन महादेव और मां पार्वती को समर्पित होता है, ऐसे में उनके प्रिय माह सावन में पड़ने वाले सोमवार का महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाता है.
सोमवारी व्रत का महत्वः
सावन मास में सोमवार का व्रत रखने से मनवांछित कामना पूरी होती है. सुहागिन महिलाओं को सौभाग्यवती होने का आशीष प्राप्त होता है. साथ ही पति को लंबी आयु प्राप्त होती है. वहीं अगर कुंवारी कन्याएं ये व्रत रखें तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.