रांची: मैराथन का नाम सुनते ही लोग डर जाते है. कई किलोमीटर की लंबी दौड़ और उसमें भी तापमान माइनस में हो तो यह जीवन के लिए घातक हो सकता है. इसके बावजूद 56 वर्षीय धावक ने न केवल अपनी यात्रा पूरी की बल्कि बाधाओं को पार करते हुए लद्दाख मैराथन को जीत लिया. पेशे से बैंकर, सुमन प्रसाद की लद्दाख मैराथन की यात्रा उनकी अडिग भावना का प्रमाण है. पिछले साल ही दौड़ना शुरू करने के बाद उन्होंने सबसे चुनौतीपूर्ण मैराथन में से एक को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया. एक ऐसा सपना 56 की उम्र में अधिकांश लोगों के लिए हासिल करना असंभव लगता था.
पतरातू में की ट्रेनिंग पूरी
उनकी लद्दाख यात्रा दिल्ली हाफ मैराथन 21 किलोमीटर, कोलकाता मैराथन 25 किलोमीटर और कठिन मुंबई मैराथन 42 किलोमीटर के सफल समापन के साथ शुरू हुई. लद्दाख मैराथन में अपना स्थान सुरक्षित करने के लिए, सुमन ने उत्सुकता से उस कार्यक्रम के लिए अपना पंजीकरण कराया. यह मैराथन पूरा करना उनका सबसे बड़ा सपना था. इस मैराथन को पूरा करने के लिए उन्होंने झारखंड में पतरातू घाटी के जोखिम भरे इलाके में प्रशिक्षण शुरू किया. वह लद्दाख के लिए तैयार थे. लेकिन वहां पहुंचने पर लद्दाख की ठंडी हवाओं ने उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला. वह गंभीर रूप से बीमार पड़ गए और ऑक्सीजन का स्तर कम होने के कारण चलने में असमर्थ हो गए. उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा होने के कारण डॉक्टरों ने उन्हें मैराथन छोड़ने की सलाह दी.
चुनौती जारी रखने का साहस मिला
अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा, कि लद्दाख में मैराथन के लक्ष्य को पूरा करने के अपने सपने को साकार करने का मेरा जुनून परेशान करता रहा. मैंने हार मानने से इनकार कर दिया. एक बार फिर हिम्मत जुटाई और कुछ कदम चला. मुझे एहसास हुआ कि मेरा ऑक्सीजन स्तर बढ़ गया है. इससे मुझे अपनी चुनौती जारी रखने का साहस मिला. वहीं उनके बीमार होने की खबर पर पहुंचे भांजे ने बताया कि मुझे देखते ही उनके अंदर एक अतिरिक्त ऊर्जा का संचार हुआ. सुमन का निश्चय बढ़ गया और उसने अपनी गति तेज़ कर दी. दृढ़ इच्छाशक्ति का अद्भुत प्रदर्शन करते हुए, सुमन प्रसाद ने निर्धारित समय सीमा में लद्दाख मैराथन को पूरा करते हुए फिनिश लाइन को पार किया.