रांची: बिरसा मुंडा के नाम पर जनजातियों के वोट बंटोरने के लिए सियासतदानों ने खूब पूजा-पाठ की, सरकारें बनाई, लेकिन उनके परिवार की तरफ किसी नेताओं ने आज तक ध्यान नहीं दिया। उनके नाम पर झारखंड में कई योजनाएं चल रही है, लेकिन इन योजनाओं से बिरसा मुंडा का परिवार अछूता है।
बिरसा मुंडा के वंशज योग्यता के आधार पर भी नौकरी पाने में असफल हैं। उनके वंशज आज सम्मानजनक जीवन जीने के लिए तरस रहे हैं। लगातार आर्थिक हालत कमजोर होने पर उनके पोते सुखराम मुंडा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सरकार से मदद की गुहार लगाई है। सुखराम मुंडा आज खेते में काम कर अपना जीवनयापन कर रहे हैं। सुखराम मुंडा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से 9 मांगें रखीं हैं। खूंटी में उपायुक्त शशिरंजन से मिलकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम एक पत्र सौंपा।
बिरसा मुंडा के वंशज सुखराम ने स्टेडियम में जमीन अधिग्रहण के बदले जमीन देने की बात का हवाला देते हुए कहा कि अब तक उन्हें यह जमीन नहीं मिली। उनकी पड़पोती सब्जी बेचने को मजबूर है। परिवार के लोगों को साफ पानी तक नसीब नहीं है। साफ पानी पीने के लिए घर से काफी दूर जाकर लाना पड़ता है।
पत्र में कई मांगों का जिक्र
सुखराम मुंडा की ओर से मुख्यमंत्री के नाम लिखे पत्र यह भी कहा गया कि सुखराम मुंडा के बच्चों को चतुर्थ श्रेणी में नौकरी दी गई थी, प्रमोशन का भरोसा दिया गया, लेकिन आजतक उसे प्रमोशन नहीं मिला। साथ ही बिरसा मुंडा के नाम पर चल रहे एयरपोर्ट, विश्वविद्यालय, पार्क सहित अन्य संस्थानों से रॉयल्टी दिए जाने की मांग की गई है।
साथ ही उलिहातु गांव को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की भी मांग की गई है। पत्र में पढ़ाई के लिए सब्जी बेच रही बिरसा मुंडा की पड़पोती जौनी मुंडा को नौकरी देने की मांग भी की गई है। जौनी मुंडा स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुकी है, लेकिन अभी तक वह नौकरी के लिए भटक रही है।