Joharlive Desk
नई दिल्ली। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी सैफुल्लाह मंसूर, जिसने दिल्ली सहित भारत के विभिन्न स्थानों पर आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के इरादे से जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की थी, को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। मंसूर, उर्फ बहादुर अली, अपने दो सहयोगियों — अबू साद और अबू दर्दा के साथ भारत में अलग-अलग स्थानों पर आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के इरादे से अवैध रूप से घाटी में घुसपैठ की थी।
सुरक्षा बलों ने 25 जुलाई, 2016 को मंसूर को जम्मू-कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के याहमा मुकाम गांव से गिरफ्तार किया था।
उसके पास से भारी संख्या में हथियार और अन्य सामान बरामद किए गए थे -जैसे कि एके-47 राइफल, अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर, गोला-बारूद, हैंड ग्रेनेड, सैन्य नक्शा, वायरलेस सेट, जीपीएस, कम्पास, भारतीय मुद्रा और नकली भारतीय मुद्रा।
26 मार्च को, दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने मंसूर की सजा का ऐलान किया।
यह मामला 27 जुलाई, 2016 को एनआईए द्वारा दर्ज किया गया था।
जांच के दौरान, मंसूर ने भर्ती के बारे में, लश्कर के विभिन्न प्रशिक्षण शिविरों, लश्कर के आतंकवादियों को हथियार, विस्फोटक, वायरलेस सेट, नाइट विजन डिवाइस, जीपीएस, ग्रिड रेफरेंस और काम करने के तरीकों के बारे में बताया।
एनआईए ने 6 जनवरी, 2017 को मंसूर के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
अबू साद और अबू दर्दा कुपवाड़ा जिले में 14 फरवरी, 2017 को एक मुठभेड़ में मारे गए।
एनआईए ने कहा कि जांच के दौरान मंसूर के दो सहयोगियों, जहूर अहमद पीर और जम्मू-कश्मीर के नजीर अहमद पीर को भी गिरफ्तार किया गया।