नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने मनी लांड्रिंग मामले में जेल में बंद दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने इस मामले के सह-आरोपितों अंकुश जैन और वैभव जैन की जमानत याचिका भी खारिज करने का आदेश दिया। कोर्ट ने 22 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान ईडी ने मनी लांड्रिंग मामले में जेल में बंद दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका का दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध करते हुए कहा कि अगर जैन को जमानत दी जाती है तो मामले के गवाहों की जान को खतरा हो सकता है। ईडी ने कहा था कि सत्येंद्र जैन प्रभावशाली व्यक्ति हैं और बड़े राजनीतिक पद पर रह चुके हैं। वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। ईडी ने कहा कि जैन को जमानत के लिए तय ट्रिपल टेस्ट को भी पास करना होगा। ईडी ने जेल में सत्येंद्र जैन के बर्ताव के बारे में कोर्ट को बताया कि जेल में वह मसाज करा रहा था। बैठकें कर रहा था। यहां तक कि उसे बाहर का खाना भी मिलता था। ईडी ने कहा था कि वैभव जैन और अंकुश जैन दोनों ने सत्येंद्र जैन की सहायता की और वह भी इस अपराध में जिम्मेदार हैं।
6 फरवरी को सह-आरोपितों अंकुश जैन और वैभव जैन की ओर से पेश वकील सुशील गुप्ता ने कहा था कि सत्येंद्र जैन का कंपनियों से कोई लेना-देना नहीं है। सुशील गुप्ता ने कहा था कि दोनों सह-आरोपितों ने ही कलकत्ता स्थित कंपनी को पैसे भेजे थे। 1 दिसंबर 2022 को कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी किया था। सत्येंद्र जैन ने ट्रायल कोर्ट की ओर से जमानत न दिए जाने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
17 नवंबर 2022 को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सत्येंद्र जैन समेत तीनों आरोपितों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने सत्येंद्र जैन के अलावा इस मामले के आरोपितों वैभव जैन और अंकुश जैन की जमानत याचिका भी खारिज करने का आदेश दिया था। बता दें कि ईडी ने सत्येंद्र जैन को 30 मई 2022 में गिरफ्तार किया था।