JoharLive Desk
नयी दिल्ली। चलते मंत्रालय को पिछले तीन वर्षों में आवंटित राशि का पूरी तरह इस्तेमाल किया गया है।
श्री सिंह ने यहां एकीकृत वित्तीय सलाहकारों की कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले तीन वर्षों में मंत्रालय ने उसे आवंटित राशि का पूरी तरह इस्तेमाल किया है। पिछले कुछ वर्षों से यह धारणा बन गयी थी कि रक्षा मंत्रालय उसे आवंटित राशि का पूरी तरह इस्तेमाल नहीं कर पाता है और राशि वापस लौटानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि वित्तीय अधिकारों के विकेन्द्रीकरण के चलते यह संभव हो पाया है।
श्री सिंह ने कहा कि वित्तीय अधिकारों के विकेन्द्रीकरण के बाद से सशस्त्र सेनाएं 300 से 500 करोड़ रूपये तक की खरीद का निर्णय स्वयं ले सकती हैं। सैन्य संचालन की तत्काल जरूरतों को देखते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को अधिकार दिये गये हैं जिससे संचालन क्षमता में बढोतरी हुई है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि एकीकृत वित्त किसी भी मंत्रालय या विभाग की रीढ होती है और यह उपलब्ध संसाधनों में जरूतों से समझौता किये बिना मंत्रालय के उद्देश्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भमिका निभाता है।
रक्षा सचिव अजय कुमार ने एकीकृत वित्त सलाहकारों को रक्षा मंत्रालय के ‘आंख और कान’ करार देते हुए कहा कि ये तीनों सेनाओं और मंत्रालय से जुड़े अन्य संगठनों के लिए मार्गदर्शक का काम करता है। गैर वित्तीय संसाधनों पर ध्यान देने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि इनकी भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण है।
रक्षा मंत्रालय में सचिव (वित्त) गार्गी कौल ने भी एकीकृत वित्तीय सलाहकारों को सुशासन और जवाबदेही का महत्वपूर्ण स्तंभ करार दिया। कार्यशाला में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और रक्षा लेखा महानियंत्रक संजीव मित्तल भी मौजूद थे।