Uttar Pradesh (Etawah) : उम्रकैद की सजा काट रही कुख्यात ‘दस्यु सुंदरी’ रही कुसमा नाइन की रविवार को सैफई अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। इटावा जिला जेल के अधीक्षक कुलदीप सिंह ने बताया कि इटावा जिला जेल में उम्रकैद की सजा काट रही महिला डाकू कुसमा नाइन एक फरवरी को टीवी रोग के चलते नाजुक हालत में इटावा मुख्यालय के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर राजकीय साहत्यि चिकत्सिालय में भर्ती कराई गई थी। वहां से उन्हें बेहतर उपचार के लिए सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी भेज दिया गया था, लेकिन सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों ने कुसमा नाइन को एसजीपीआई लखनऊ भेजा था, जहां उपचार के दौरान शनिवार दोपहर बाद उनकी मौत हो गई। कुसमा नाइन के पार्थिव शव को उनके पैतृक गांव जालौन जिले के सिरसा कालर स्थित टिकरी गांव ले जाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
20 साल से इटावा की जेल में काट रही थी सजा
करीब दो माह से टीवी रोग से ग्रसित कुसमा इटावा जिला कारागार में करीब 20 साल से सजा काट रही थी। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में आतंक का पर्याय रहे कुख्यात डकैत रामआसरे उर्फ फक्कड़ और उसकी सहयोगी पूर्व डकैत सुंदरी कुसमा नाइन सहित पूरे गिरोह ने मध्यप्रदेश के भिंड जिले के दमोह पुलिस थाने की रावतपुरा चौकी पर आठ जून 2004 समर्पण कर दिया था। भिंड के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक साजिद फरीद शापू के समक्ष गिरोह के सभी सदस्यों ने बिना शर्त समर्पण किया था। फक्कड़ बाबा पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक लाख और मध्य प्रदेश पुलिस ने 15 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था।
कुसुमा नाइन पर यूपी ने 20 हजार और एमपी सरकार ने रखा था 15 हजार का इनाम
कुसमा नाइन पर उत्तर प्रदेश ने 20 हजार और मध्य प्रदेश ने 15 हजार रुपये का इनाम घोषित किया हुआ था। गिरोह ने उत्तर प्रदेश में करीब 200 से अधिक और मध्य प्रदेश में 35 अपराध किए थे। समर्पण करने वाले गिरोह के अन्य सदस्यों में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले का राम चंद वाजपेयी, इटावा के संतोष दुबे, कमलेश वाजपेयी, घूरे सिंह यादव और मनोज मश्रिा, कानपुर का कमलेश निषाद और जालौन का भगवान सिंह बघेल शामिल रहे। जिसके बाद से वह इटावा जिला जेल में सजा काट रही थी। इस समर्पण के पीछे किसी ने मध्यस्थ की भूमिका नहीं निभाई। फक्कड़ बाबा और उसके गिरोह ने अपनी इच्छा से आत्मसमर्पण किया था। फक्कड़ बाबा गिरोह ने कई विदेशी हथियार भी पुलिस को सौंपे थे। इनमें अमेरिका नर्मिति 306 बोर की तीन सेमी-आटोमेटिक स्प्रिंगफील्ड राइफलें, एक आटोमेटिक कारबाइन, बारह बोर की एक डबल बैरल राइफल और कुछ दूसरे हथियार शामिल रहे।
2017 में पूर्व दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन और डकैत फक्कड़ को हुई थी उम्रकैद
उपनिदेशक गृह की हत्या और अपहरण के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट-52 ने 2017 में दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन और फक्कड़ को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 35 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। डकैतों ने अफसर के बेटे से 50 लाख रुपए की फिरौती मांगी थी। फिरौती न देने पर इटावा के सहसो थानाक्षेत्र में अफसर का शव मिला था। एडीजीसी वरिष्ठ अधिवक्ता सरला गुप्ता ने बताया कि कल्याणपुर निवासी पवन कुमार शर्मा के पिता हरदेव आदर्श शर्मा उप निदेशक गृह के पद से रिटायर हुए थे। सपा नेता निर्मला गंगवार के घर पर पवन की मुलाकात प्रभा कटियार और विजय तिवारी व अन्य से हुई थी। प्रभा ने पवन को इटावा के जुहरिवा में मौसी के परिवार में गृह प्रवेश समारोह के लिए न्योता दिया था। फूड प्रोसेसिंग का कोर्स करने के चलते पवन ने खुद न जाकर अपने पिता हरदेव आदर्श को भेज दिया। जब वह नहीं लौटे तो पवन ने उनकी खोजबीन शुरू की।
सात जनवरी 1995 को जब पवन निर्मला से मिला तो उन्होंने बताया कि डाकतार विभाग में तैनात दौलतराम उनको बिना नंबर की मारुति से प्रभा कटियार के साथ ले गए हैं। वहां जाने पर पवन को दस्यु प्रभावित इलाके में जौहरी लाल के पास ले जाया गया। वहां पर पवन की तलाशी हुई। उसे एक जगह ले जाया गया जहां पर पहले से सात असलहाधारी व्यक्ति खड़े थे। वहीं पर दस्यु सरगना रामआसरे उर्फ फक्कड़ और कुसुमा नाइन से मिले और उन्होंने फिरौती का पत्र भी दिया। पवन ने पैसा न होने की असमर्थता भी जताई। ऐसे में उसे पैसा लाने के लिए छोड़ दिया गया। आठ जनवरी 1995 को सहसो थाना में हरदेव आदर्श का शव मिला। चौकीदार सेवाराम की जानकारी में पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। पवन कुमार शर्मा की तहरीर पर पुलिस ने धारा 365, 302 और 34 आईपीसी की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की। एफटीसी-52 अफसा की कोर्ट ने दोनों डकैतों को उम्रकैद की सजा और 35 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।
बेटे समेत नौ लोगों की गवाही पर हुई सजा
बेटे पवन कुमार शर्मा ने ही सबसे पहले फक्कड़ बाबा को पहचाना और फिर उसने कुसुमा नाइन की पहचान की। उसकी गवाही पर ही कोर्ट ने सजा सुनाई है। कोर्ट के सामने पूरे मामले में रिटायर एसआई वेद प्रकाश, चौकीदार मेवाराम, एसआई शिवसरन सिंह, पवन, भइयेलाल, शिवप्रकाश चौबे और पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर नरेश चंद्र दुबे ने गवाही दी थी। कई गवाह डकैत के मामले को देखकर मुकर चुके हैं।
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