विधायक दल के नेता पर अब तक सस्पेंस बरकरार
रांची : एक सुपर हिट गाना है काटे नहीं कटते दिन और रात… विधायक दल के नेता की है आस. झारखंड की राजनीति में अब तक यह सस्पेंस बरकरार है. विधायक दल के नेता के लिए बीजेपी नेता कार्यकर्ता टकटकी लगाए बैठे हैं. पर सस्पेंस से पर्दा ही नहीं उठ पा रहा है. पार्टी विधायकों की नजर केंद्रीय नेतृत्व और दिल्ली पर टिकी हुई हैं.
जुलाई में हुई थी भाजपा विधायक दल की बैठक
बताते चलें कि जुलाई महीने के आखिरी सप्ताह में मॉनसून सत्र से पूर्व भाजपा विधायक दल की बैठक 27 जुलाई को प्रदेश कार्यालय में हुई थी. इस दौरान यह मसला काफी चर्चा में था कि केंद्रीय मंत्री और पर्यवेक्षक अश्विनी चौबे की उपस्थिति में विधायक दल के नेता के नाम पर सहमति बन जाएगी. इसकी घोषणा भी उसी दौरान होने की बात थी. हालांकि, ऐसा हुआ नहीं. कहा गया कि कुछ नामों के साथ वे दिल्ली गए हैं. अब दिल्ली में ही पार्टी के शीर्ष लीडर किसी एक नाम को तय करेंगे. अब करीब दो महीने होने को हैं. विधायकों का अपने नेता के लिए इंतजार बना ही हुआ है.
बाबूलाल जता चुके हैं अपनी इच्छा
दरअसल, प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद बाबूलाल मरांडी ने खुद को विधायक दल के नेता पद से मुक्त करने की इच्छा पार्टी के शीर्ष नेताओं से जताई थी. ऐसे में माना जा रहा था कि विधायकों के बीच से कोई सर्वमान्य नाम तय करके नया नेता तय कर लिया जाएगा. यह भी कि मॉनसून सत्र में विधायक दल के नए नेता के साथ पार्टी सदन में उपस्थिति दिखाएगी पर यह भी नहीं हो सका.
रेस में हैं ये नेता
पार्टी के मुताबिक, बाबूलाल ही विधायक दल के नेता बने रहें. विधायक दल की बैठक होने तक पार्टी के कई विधायकों का नाम विधायक दल के नेता के रूप में उड़ता रहा है. इनमें विधायक सीपी सिंह, अमर कुमार बाउरी, अनंत ओझा, राज सिन्हा, अमित मंडल, जयप्रकाश भाई पटेल जैसे नामों पर ही ज्यादा दांव खेला जाता रहा. यह भी चर्चा होती रही कि चूंकि ट्राइबल क्लास के लिहाज से पार्टी ने कई स्तरों पर काम करके दिखाया है. बिरंची नारायण ने कहा था कि भाजपा लोकतांत्रिक पार्टी है. पार्टी के सभी निर्णय लोकतांत्रिक तरीके से विमर्श पर आधारित होते हैं.
केंद्रीय मंत्री ले चुके हैं विधायकों की राय
केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने नेता प्रतिपक्ष के मामले में विधायकों से राय ली है. रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय नेतृत्व नए नेता पर फैसला लेगा. इधर, पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी और विधायक इस आस में हैं कि जल्द नेता प्रतिपक्ष का फैसला हो. अगले वर्ष लोकसभा के साथ- साथ विधानसभा चुनाव भी राज्य में होने हैं. जितनी जल्दी इस मसले पर विचार हो जाए, पार्टी हित में बेहतर रहेगा.