JoharLive Desk

नई दिल्ली : बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवाती तूफान बुलबुल का खतरा गहरा गया है। मौसम विभाग के अनुसार चक्रवात बुलबुल अगले दो दिनों में और शक्तिशाली हो सकता है और पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटीय इलाकों पर खासा असर डाल सकता है। ओडिशा के तटीय इलाके भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। मौसम विभाग के क्षेत्रीय निदेशक जीके दास के अनुसार यह कोलकाता से करीब 930 किलोमीटर दूर है और शनिवार शाम तक बहुत खतरनाक तूफान में तब्दील हो सकता है।
मछुआरों को मशविरा दिया गया है कि समुद्र में न जाएं और जो गए हैं वे फौरन वापस आएं। इस बुलबुल चक्रवात के कारण हवाओं की रफ्तार अभी 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटा है जिसके तेज होकर 140 किमी प्रति घंटा होने की आशंका है। आईएमडी महानिदेशक मृत्युजंय महापात्रा ने कहा है कि इस पर नजर रखी जा रही है। इसके असर से पूर्वी मिदनापुर, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना में नौ से 11 नवंबर तक भारी बारिश हो सकती है। ओडिशा सरकार ने भी सभी जिला प्रशासनों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। करीब 15 जिलों से कहा गया है कि वे बाढ़ जैसे हालात का सामना करने के लिए तैयारी करें।

मौसम विभाग ने गुरुवार को अलर्ट जारी कर बताया कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों में इसका प्रभाव ज्यादा देखने को मिलेगा।दोनों राज्यों में एनडीआरएफ की टीमें भेजी जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस मामले पर चिंता जता चुके हैं। प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव डॉक्टर पीके मिश्रा ने ओडिशा, पश्चिम बंगाल और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिवों के साथ बैठक की।
दक्षिण भारत में कई दिनों से खतरा बनकर बैठा चक्रवाती तूफान ‘महा’ अब इतना खतरनाक नहीं रहा, लेकिन इससे इतर एक दूसरा खतरा खड़ा हो गया है। दरअसल, बंगाल की खाड़ी में एक और तूफान बन रहा है, जिसे वैज्ञानिकों ने बुलबुल का नाम दिया है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है ऐसा पहली बार है जब एक के बाद एक लगातार तीन तूफान बने हों। क्योंकि ‘महा’ से पांच दिन पहले ही चक्रवाती तूफान ‘क्यार’ खत्म हुआ था।

वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक एके शुक्ला ने बताया कि बुलबुल पिछले 11 महीने में सातवां तूफान है। उन्होंने कहा कि 129 साल में ऐसा तीसरी बार है जब एक दशक में 99 तूफान बने हैं। इससे पहले 1970 से 1979 के दशक में 110 और 1960 से 1969 के दशक में 99 तूफान बने थे। सूचना है कि चक्रवाती तूफान लौटते हुए गुरुवार के दिन गुजरात के तट से टकराएगा, जिसकी वजह से राजकोट में बुधवार रात से ही बारिश शुरू हो चुकी है।
इसके अलावा ‘महा’ गुजरात के साथ-साथ मध्यप्रदेश के कुछ शहरों को भी प्रभावित कर सकता है। भोपाल में बूंदाबांदी समेत उज्जैन, इंदौर, होशंगाबाद, मालवा-निमाड़ इलाका, संभाग और सीहोर, श्योपुरकलां, मुरैना जिलों में बारिश आने की भी संभावना है। मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि इस तूफान के गुरुवार सुबह पूर्वोत्तर और उससे सटे मध्य पूर्वी अरब सागर में कमजोर होने की संभावना है। इसी दिन सुबह यह सौराष्ट्र तट के आसपास के इलाके को घेर सकता है।
भारत के चार राज्यों पर होगा असर
भारत के चार राज्यों- पश्चिमी तट पर दो और पूर्व में दो पर इन तूफानों का असर रहेगा। बुधवार को मौसम विभाग के अधिकारियों ने दोनों चक्रवातों के प्रभाव की जानकारी दी। जो भारतीय उपमहाद्वीप-अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के आसपास के दो समुद्रों में विकसित हो रहे हैं।

भारत मौसम विभाग के अधिकारियों के अनुसार, दो समुद्रों में चक्रवात महा और बुलबुल का बनना एक दुर्लभ समवर्ती घटना है। गुजरात और महाराष्ट्र में महा के कारण बारिश की संभावना है, जबकि विकासशील चक्रवात बुलबुल संभवतः बंगाल और ओडिशा को प्रभावित करेगा।

मौसम वैज्ञानिक सुनीता देवी ने कहा कि पिछले साल भी अक्तूबर में बंगाल की खाड़ी में तितली चक्रवात और उसी सप्ताह अरब सागर में चक्रवात लुबना बना था। हालांकि, एक ही समय में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में चक्रवातों को देखना एक असामान्य घटना है।
यह है तूफान बनने की वजह
उन्होंने कहा कि ये चक्रवात अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (भूमध्य रेखा के पास एक संकीर्ण पैच जहां उत्तरी और दक्षिणी वायु द्रव्यमान जुटाते हैं) के परिणाम स्वरूप सक्रिय हैं। जब यह क्षेत्र सक्रिय होता है, तो बहुत सारे भंवर बन जाते हैं। अनुकूल परिस्थितियों में जैसे कि जब पर्याप्त नमी और समुद्र की सतह का तापमान गर्म हो, तो ऐसे चक्रवात बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में इस साल अरब सागर काफी सक्रिय है।
पूर्व की ओर बढ़ने की संभावना
उन्होंने कहा कि पश्चिम-मध्य क्षेत्र से उठा यह तूफान अरब सागर के पूर्व-मध्य क्षेत्र को साथ लेते हुए पूर्व की ओर बढ़ गया है। गुजरात के पोरबंदर से लगभग 400 किमी पश्चिम-दक्षिण पश्चिम में गंभीर रूप धारण कर चुका यह तूफान अब कमजोर हो गया है। छह नवंबर तक इसके और कमजोर होकर, पूर्व की ओर बढ़ने की संभावना है।

मौसम विभाग के अनुसार, इसके बाद तूफान के पूर्व-उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ने की संभावना है, जो सात नवंबर की सुबह तक और कमजोर हो जाएगा। इसके सौराष्ट्र तट को घेरने और दीव से लगभग 40 किमी दक्षिण क्षेत्र में केंद्रित होने की बहुत संभावना है।
प्रदूषण कम करने में हो सकते हैं मददगार
मौसम विभाग के अनुसार, महा के कारण सात नवंबर को गुजरात और महाराष्ट्र के कई हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश होगी। बंगाल की खाड़ी पर गहराता यह तूफान कर्नाटक के मायाबंदर से 390 किमी दूर पश्चिम-उत्तर-पश्चिम में है, जबकि सात नवंबर को इसके अंडमान द्वीप समूह तेज होने की संभावना है।

ओडिशा और पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में नौ से 11 नवंबर तक हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। अधिकारियों ने कहा कि दोनों तूफानों में वायु प्रदूषण को कम करने में मदद की संभावना है, जिसका उत्तर भारत से पूर्व और मध्य भारत के कुछ हिस्सों तक फैलाव है।

Share.
Exit mobile version