रांची : झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (JPSC) के अध्यक्ष पद पर संकट बना हुआ है. 22 अगस्त से यह पद खाली है, जब डॉ. नीलिमा केरकेट्टा का कार्यकाल समाप्त हो गया. इसके बाद से इस महत्वपूर्ण पद के लिए नियुक्ति नहीं हो पाई है, जिसका असर कई परीक्षाओं के परिणामों पर पड़ रहा है. विशेष रूप से जेपीएससी की 11वीं से 13वीं सिविल सेवा परीक्षा की नियुक्ति प्रक्रिया लंबित है, जिससे परीक्षार्थी भारी निराशा का सामना कर रहे हैं.
अभ्यर्थियों का सोशल मीडिया अभियान
21 दिसंबर से जेपीएससी के अभ्यर्थियों ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X (पूर्व ट्विटर) पर एक अभियान शुरू किया है. इस अभियान के तहत #jpsc_chairman_appoint_karo हैशटैग के जरिए वे झारखंड सरकार से जेपीएससी के अध्यक्ष की तत्काल नियुक्ति की मांग कर रहे हैं. इस अभियान में सैकड़ों अभ्यर्थी सक्रिय रूप से जुड़कर अपनी आवाज उठा रहे हैं. अभ्यर्थियों का कहना है कि अध्यक्ष के पद का खाली रहना उनके भविष्य को प्रभावित कर रहा है और नियुक्ति प्रक्रिया में देरी हो रही है.
कोर्ट ने दी निर्देश, सरकार ने किया आश्वासन
इस बीच, झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति के संबंध में शीघ्र कार्रवाई की जाए. कोर्ट ने कहा कि आमतौर पर नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जाता, लेकिन यह मामला सैकड़ों अभ्यर्थियों की नियुक्ति से जुड़ा है और इसमें देरी से उनके भविष्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा कि जेपीएससी के अध्यक्ष के बिना सिविल सेवा परीक्षा की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती है.
सरकार की ओर से यह जानकारी दी गई है कि जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है. जैसे ही अध्यक्ष का पद भरा जाएगा, नियुक्ति प्रक्रिया तत्काल पूरी कर दी जाएगी और संबंधित अभ्यर्थियों को जल्द ही दस्तावेज सत्यापन और साक्षात्कार की प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा.
नियुक्ति प्रक्रिया में देरी के कारण परेशानी
जेपीएससी की 11वीं से 13वीं सिविल सेवा परीक्षा की मुख्य परीक्षा जून में हो चुकी थी, और अब सफल अभ्यर्थी अपने परिणाम का इंतजार कर रहे हैं. जेपीएससी के अध्यक्ष के बिना नियुक्ति प्रक्रिया अटकी हुई है, जिससे अभ्यर्थियों में निराशा और गुस्सा है. अभ्यर्थियों ने अब सरकार से अपील की है कि वे शीघ्र ही अध्यक्ष की नियुक्ति करें ताकि उनका भविष्य तय किया जा सके.
जेपीएससी के अध्यक्ष की नियुक्ति में हो रही देरी ने अभ्यर्थियों के लिए समस्याएं खड़ी कर दी हैं, और अब उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी मांग को तेज कर दिया है. सरकार द्वारा आश्वासन मिलने के बावजूद, यह मुद्दा झारखंड में बेरोजगारी और सिविल सेवा परीक्षा के अभ्यर्थियों के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.
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