रांची : ‘राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान’ के तहत केंद्र से मैन पावर मद का पैसा नहीं मिलने का खतरा पैदा हो गया है. सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी (सीइसी) ने मैन पावर को काम पर लगाने के लिए 45 दिनों का समय दिया है, जो अब खत्म होनेवाला है. इधर ग्रामीण विकास मंत्री इरफान अंसारी ने मैनपावर सप्लाई के टेंडर में वर्क ऑर्डर जारी होने के बाद टेंडर की समीक्षा का आदेश दिया है.

राज्य सरकार ने दिया था 143.50 करोड़ रुपये का प्रस्ताव

झारखंड सरकार के चालू वित्तीय वर्ष के लिए राष्ट्रीय ग्राम स्वराज योजना के तहत 143.50 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था. सीइसी ने इस विचार के बाद 127.06 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना को स्वीकृति दी. ग्राम स्वराज योजना में कैपेसिटी बिल्डिंग और ट्रेनिंग का भी प्रावधान है. इसके लिए मैन पावर की जरूरत होती है. राज्य सरकार के प्रस्ताव पर सीइसी ने कैपेसिटी बिल्डिंग और मैन पावर सप्लाई मद में 32 करोड़ रुपये की स्वीकृति की मांग की. इसको लेकर राज्य सरकार की ओर से 66,200 लोगों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. हालांकि, सीइसी ने पिछले वित्तीय वर्ष में प्रशिक्षण की स्थिति का आकलन करने के बाद सिर्फ 33,100 को ही प्रशिक्षण देने की सहमति दी.

45 दिनों में मैन पावर को काम पर नहीं लगाया, तो रद्द मानी जायेगी स्वीकृति :

सीइसी ने पाया कि राज्य ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में सिर्फ 9012 लोगों को ही प्रशिक्षण दिया था. सीइसी द्वारा प्रशिक्षण के मामले में असंतोष व्यक्त किये जाने के बाद सरकार की ओर से कहा गया कि मैन पावर सप्लाई के लिए टेंडर का निबटारा कर लिया गया है. वर्क ऑर्डर भी जारी कर दिया है. इसके बाद 11 जुलाई 2024 को हुई बैठक में सीइसी ने इस मद में 32 करोड़ रुपये की सशर्त स्वीकृति दी. सीइसी द्वारा निर्धारित शर्त के अनुसार, अगर राज्य सरकार ने 45 दिनों के अंदर मैन पावर को काम पर नहीं लगाया, तो इस मद में दी गयी स्वीकृति खुद ही रद्द मानी जायेगी. सीइसी द्वारा निर्धारित इस समय सीमा के बावजूद मैन पावर सप्लाई का काम स्थगित कर दिया गया है.

मनी लाउंड्रिंग के आरोप में तत्कालीन मंत्री आलमगीर आलम के जेल जाने के बाद ग्रामीण विकास मंत्री बने इरफान अंसारी ने समीक्षा के नाम पर मैन पावर सप्लाई को स्थगित कर दिया है. उन्होंने विभागीय सचिव को यह लिखा है कि मैन पावर उपलब्ध कराने के लिए अपनायी गयी प्रक्रिया और मापदंड की समीक्षा की जरूरत है. हालांकि, उन्होंने वर्क ऑर्डर जारी हो चुके टेंडर की प्रक्रिया की समीक्षा का कोई कारण नहीं बताया है.

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