नई दिल्ली: नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में 11 साल बाद कोर्ट का फैसला आ गया है. पुणे की CBI की स्पेशल कोर्ट ने आरोपी सचिन अंदुरे और शरद कलस्कर को दोषी करार करते हुए दोनों आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है. साथ ही 5-5लाख का जुर्माना भी लगाया गया है. वहीं कोर्ट ने इस मामले में मास्टर माइंड माने जा रहे डॉक्टर विरेंद्र सिंह तावड़े, विक्रम भावे और संजीव पुनालेकर को बरी कर दिया है. यह फैसला गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम से जुड़े मामलों की विशेष अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए.ए. जाधव ने सुनाया है.
हत्याकांड में कुल 5 आरोपी थे. बता दें कि महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक नरेंद्र दाभोलकर को 20 अगस्त 2013 को पुणे में सुबह की सैर के दौरान दो बाइक सवार बदमाशो ने गोली मार दी थी. दाभोलकर कई वर्षों से अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति चला रहे थे. उन्होंने अंधविश्वास उन्मूलन से संबंधित विभिन्न पुस्तकें भी प्रकाशित की थी और कई कार्यशालाओं का भी आयोजन किया था. घटना के बाद दाभोलकर की बेटी और बेटे द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट याचिका दायर की गई थी. जिसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले को पुणे पुलिस से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित दिया था. पुणे पुलिस ने दाभोलकर हत्या मामले की शुरुआती जांच की थी.
2014 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने CBI को जांच करने के आदेश दिया. CBI ने जून 2016 में ENT सर्जन डॉ वीरेंद्र सिंह तावड़े को गिरफ्तार किया था. वीरेंद्र तावड़े और अन्य आरोपी हिंदू दक्षिणपंथी संगठन सनातन संस्था से जुड़े हुआ था. दावा था कि यह संस्था दाभोलकर के संगठन महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के कामों का विरोध करती थी. CBI ने अपनी चार्जशीट में सबसे पहले सारंग अकोलकर और विनय पवार को शूटर बताया था. हालांकि, एजेंसी ने बाद में सचिन अंदुरे और शरद कलस्कर को गिरफ्तार किया.
चार्जशीट में दावा किया कि उन्होंने ही दाभोलकर को गोली मारी थी. जांच एजेंसी ने इसके बाद वकील संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को साजिशकर्ताओं का साथ देने के आरोप में गिरफ्तार किया था. बता दें कि तावड़े, अंदुरे और कालस्कर जेल में बंद हैं. जबकि पुनालेकर और भावे जमानत पर बाहर हैं.