पटना : बिहार की राजधानी पटना में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देश का सबसे बड़ा बापू टावर क निर्माण किया गया. महात्मा गांधी को समर्पित देश का पहला बापू टावर बनाने में कुल 129 करोड़ की लागत आई है. पटना बापू टावर की गैलरी में लगी मूर्तियों और कलाकृतियों का निर्माण अहमदाबाद के एक फैक्ट्री में किया गया है. टावर के गोलाकार भवन की दीवारों में लगी 42 हजार किलो तांबे की परत चमक बिखेरते हुए उसकी खूबसूरती को बढ़ा रही है. रात के समय में लाइट जलते ही बापू टावर के सुंदरता में चार-चांद लग जाता है. उद्घाटन होने के बाद बापू टावर में आने वाले पर्यटकों को बता दें कि आप पटना के गर्दनीबाग के मुख्य सड़क पर बने 1 नंबर गेट से बापू टावर परिसर के अंदर प्रवेश कर सकेंगे.
बापू टावर में आने वाले पर्यटकों के लिए वाहनों की पार्किंग के लिए भी इंतजाम किए गए है. जहां लोगों के लिए 50 चार पहिया वाहन और 150 दो पहिया पावन की पार्किंग के लिए बंदोबस्त किया गया है. पर्यटक वाहन की पार्किंग करने के बाद मुख्य द्वार के आगे बने टिकट काउंटर से टिकट लेकर पापू टावर परिसर के अंदर प्रवेश कर सकेंगे. परिसर के अंदर टर्न टेबल थिएटर शो के जरिए पर्यटकों को बापू के जीवनी के बारे में दिखाया जाएगा. बापू टावर परिसर के अंदर आने वाले पर्यटकों को गोलाकार और आयताकार भवन में घूमते हुए, बापू के जीवनी के साथ बिहार के इतिहास के बारे में कइयों बातें जानने को मिलेंगे. बापू टावर में 42 करोड़ रुपए की लागत से महात्मा गांधी और बिहार के समृद्ध इतिहास के बारे में प्रदर्शनी लगाई जा रही है. बापू टावर का निर्माण कार्य पूरा हो गया है. इसे सजाने का काम अब अपने अंतिम चरण में है.
बापू टावर में घूमने आए पर्यटक भ्रमण करने के बाद गर्दनीबाग के रोड नंबर 15 में बने गेट से निकास कर सकेंगे. बापू टावर के गोलाकार भवन की दीवारों में लगी 42 हजार किलो तांबे की परत हवा में मौजूद ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के साथ रिक्त होकर इंद्रधनुष के रंगों में बदलता है. जिससे पापू टावर की खूबसूरती और अधिक बढ़ जाती है.