बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद््घाटन सोमवार को PM नरेंद्र मोदी ऑनलाइन किया। यह देश भर में पहला जनजातीय म्यूजियम है। यहां भगवान बिरसा के जीवन से जुड़ी जानकारियों के साथ राज्य के अन्य आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
यहां पर्यटन की आधुनिकता और विरासत की पारंपरिक झलकियों का खूबसूरत संगम दिखेगा। हालांकि आम आदमी के लिए यह म्यूजियम तीन महीने के बाद खोला जाएगा।
म्यूजियम के मेन गेट से प्रवेश करते ही 120 साल पहले बने जेल दिखेगा। बाईं ओर भगवान बिरसा मुंडा की 25 फुट ऊंची आदमकद प्रतिमा दिखाई देगी। जेल की बनी संरचना को उसी रूप में संरक्षित किया गया है।
ब्रिटिश काल में हुआ था जेल का निर्माण
इस जेल का निर्माण ब्रिटिश शासन काल में कैप्टन विलकिंसन ने कराया था। यह वही समय था, जब यहां कैद किए गए आदिवासी क्रांतिकारियों की बढ़ती संख्या के कारण रांची को जिला घोषित किया गया था। वर्ष 1900 में भगवान बिरसा मुंडा को उनके उलगुलान विद्रोह के लिए गिरफ्तार यहां लाया गया था।
ग्रामीण संस्कृति की झलक
मुख्य गेट से प्रवेश करते ही झारखंड की ग्रामीण संस्कृति की झलक दिखेगी। भगवान बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर बैरक संख्या 9 में रखा गया था, वह दिखेगा। बैरक में उनकी प्रतिमा के साथ उनसे जुड़ी सभी जानकारी, कुछ पत्र भी प्रदर्शित किए गए हैं।
क्रांतिकारियों के संघर्ष की मिलेगी जानकारी
ग्रामीण संस्कृति से रूबरू होकर उन आदिवासी क्रांतिकारियों के संघर्ष देखने को मिलेंगे, जिन्होंने ब्रिटिश राज के शोषण के खिलाफ उलगुलान किया। यहां 13 शहीदों की 10 फुट ऊंची प्रतिमा दिखेगी। संक्षिप्त वर्णन और चित्रों से जीवनी को जान सकेंगे।
लाइट एंड साउंड शो के जरिए बिरसा के संघर्ष को दिखाया जाएगा
जेल के चार बैरक को मिलाकर लाइट एंड साउंड शो के जरिए भगवान बिरसा मुंडा की पूरी जीवनी दिखाई जाएगी। यहां करीब 15 लोग एकसाथ इस शो को देख सकेंगे। बिरसा मुंडा के जन्म, संघर्ष से लेकर उनके निधन तक के दृश्य दिखाए जाएंगे।
यहां चिल्ड्रेन जोन भी
उद्यान के अंदर एक कोने में चिल्ड्रन जोन है, जहां स्केटिंग, रॉक क्लाइंबिंग, कई प्रकार के झूले बच्चों का मनोरंजन करेंगे। रांची में पहली बार िदल्ली के अक्षरधाम मंदिर की तरह म्यूजिकल फाउंटेन दिखेगा, जहां आपको झारखंड की लोक संगीत भी सुनने को मिलेंगे।