रांची : रांची अब स्मार्ट सिटी बन चुकी है. स्मार्ट शहरों की कैटेगरी में शहर को कई अवार्ड भी मिल चुके है. लेकिन शहर की मत्वाकांक्षी योजना सीवरेज-ड्रेनेज अबतक धरातल पर नहीं उतर पाई है. वहीं घरों को सीवरेज-ड्रेनेज से जोड़ने का भी काम अभी लटका हुआ है. इसके लिए रांची नगर निगम ने अबतक तीन बार टेंडर निकाला है. लेकिन किसी भी एजेंसी ने इंटरेस्ट नहीं दिखाया है. अब सीवरेज-ड्रेनेज से घरों को जोड़ने के लिए एकबार फिर से टेंडर निकाला है. जिसमें 4.58 करोड़ रुपए से जोन-1 में घरों को सीवर लाइन जोड़ना है.
18 साल से चल रही योजना
सिटी में वैसे तो कई विकास योजनाएं चल रही हैं. लेकिन समस्या यह है कि सालों साल ये योजनाएं बस चल ही रही हैं. समय पर पूरा नहीं होने के बावजूद योजनाओं को एक्सटेंशन पर एक्सटेंशन दिया जा रहा है. सिटी में चलने वाली कुछ योजनाओं का हाल तो पंचवर्षीय योजनाओं से भी बुरा है. कोई योजनाएं तो 15 साल तो कोई दस साल से चल रही है. आज भी लोगों को उसके पूरा होने का इंतजार ही है. कुछ ऐसा ही हाल शहर के सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम का है. जिसके लिए 18 साल से लोग इंतजार कर रहे है.
पिछले साल सीएजी ने खोली थी पोल
भारत के सीएजी की रिपोर्ट ने रांची नगर निगम की पोल खोलकर रख दी थी. जिसमें सिवरेज ड्रेनेज के नाम पर करोड़ों रुपए बेवजह खर्च करने की बात कही गई थी. प्रोजेक्ट के लेखा परीक्षा के मुताबिक जून 2005 में यह योजना शुरू हुई थी. लेकिन 17 साल बाद भी परियोजना पूरी नहीं हुई. सितंबर 2017 से मार्च 2019 तक और उसके बाद जनवरी 2023 तक समय बढ़ा दिया गया. अब 2024 में भी अबतक सीवरेज ड्रेनेज का काम पूरा नहीं हो पाया है. सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक विभाग ने भी शर्तों का उल्लंघन कर अयोग्य और अनुभवहीन संवेदक को काम दे दिया. परियोजना का डीपीआर तैयार करने के लिए 16.04 करोड़ रुपए परामर्शी को दिया गया, जो बेकार चला गया.
दो कंपनिया चली गईं, काम पूरा नहीं
शहर में 2005 से ही सीवरेज-ड्रेनेज की योजना पर काम चल रहा है. 17 साल पहले सीवरेज-ड्रेनेज प्रोजेक्ट की योजना बनी थी. साल 2007 में मैनहर्ट ने शहर को चार जोन में बांटकर सीवरेज-ड्रेनेज प्रोजेक्ट का डीपीआर तैयार किया था. लेकिन विवादों में फंसने के कारण काम शुरू नहीं हो सका. सात साल बाद यानी 2014 में फिर एक बार प्रोजेक्ट में संशोधन करते हुए 210 किमी सीवर लाइन बिछाने का निर्णय लिया गया. 2015 में इस काम की जिम्मेवारी ज्योति बिल्डकॉन को सौंपी गई. पहले चरण में नौ वार्ड में सीवर लाइन बिछाने के लिए 356 करोड़ का टेंडर एजेंसी को दिया गया. दो वर्ष में काम पूरा होना था. लेकिन तीन बार एक्सटेंशन लेने के बाद भी एजेंसी काम पूरा नहीं कर सकी. इसके अलावा उस पर अनियमितता के आरोप पर कंपनी को टर्मिनेट करते हुए इसकी जिम्मेवारी एलसी इंफ्रा को दे दी गई है. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर मुहल्लों, कॉलोनियों और बस्तियों में स्थित घरों में सेप्टिक टैंक की उपयोगिता खत्म हो जाएगी.
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