रांचीः अपनी मांगों को लेकर राजधानी के मोरहाबादी मैदान में 24 जिलों की रसोईयों का जुटान हुआ. महाजुटान में आयी रसोईया-संयोजिका का कहना है कि 2023-24 के विधानसभा बजट सत्र तक मांगों को पूरा नहीं किया जाता है तो दो मई 2024 से राज्य भर के रसोईया-संयोजिका और अध्यक्ष अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. इसकी सारी जवाबदेही सरकार की होगी.
रसोईया को मात्र 66.66 रू एक दिन का मानदेय मिलता है
रसोईया संघ का कहना है कि राज्य के गरीब, हरिजन और पिछड़ी जाति की महिलाएं सरकारी एवं अनुदान प्राप्त विद्यालयों में 2004 से बतौर रसोईया, संयोजिका और अध्यक्ष के रूप में काम कर रही हैं. वर्तमान में एक रसोईया को एक दिन में 66.66 रुपए मानदेय मिल रहा है. जबकि संयोजिका और अध्यक्ष बिना मानदेय के अपनी सेवा दे रहे हैं. हमने अपनी मांगों को लेकर 2005 से लगातार आंदोलन करते हुए सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया है. इसके बाद भी सरकार ने हमलोग के हित में किसी तरह का फैसला नहीं लिया. हमें आंदोलन के बदले आश्वासन ही मिला है.
तत्कालीन शिक्षा मंत्री के साथ दो बार हुई वार्ता
संघ की अनीता देवी केसरी ने बताया कि आंदोलन के दौरान 24 सितंबर 2022 को गिरीडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू की पहल पर तत्कालीन शिक्षा मंत्री स्व जगरनाथ महतो के साथ पांच सूत्री मांग को लागू करने पर सहमति बनी थी. इसके बाद इन्हीं मांगों के साथ 10 अक्टूबर 2022 को दोबारा बैठक हुई. यह बैठक भी बेनतीजा साबित हुआ. इसके बाद फिर 29 जुलाई 2023 को विधानसभा के समक्ष हम लोगों ने धरना प्रदर्शन किया. जिसके बाद 3 अगस्त 2023 को विधायक सुदिव्य कुमार सोनू, विधायक अंबा प्रसाद और विधायक विनोद सिंह की अगुवाई में शिक्षा सचिव के रवि कुमार और मध्याहन भोजन निदेशक किरण कुमार पासी के साथ एक लिखित वार्ता हुई.
अक्टूबर तक लाभ देने की थी बात
संघ की ओर से मिली जानकारी के अनुसार इस लिखित वार्ता में कहा गया कि अक्टूबर 2023 तक स्थाई करने का नियम बनाया जाएगा. मानदेय में एक हजार रुपए की बढ़ोतरी की जाएगी. वहीं बातचीत के क्रम में कहा गया कि साल में दो सेट साड़ी दिया जाएगा. 10 महीने की जगह 12 महीने का मानदेय मिलेगा. रसोईया संयोजिका को विद्यालय में खाने के लिए चावल आवंटित किया जाएगा. इस समझौते को अप्रैल 2023 से मान्य होने की बात कही गई थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके विपरीत 60 साल बोलकर रसोईया और संयोजक को हटाया जा रहा है.
क्या है मांगे
-सभी रसोईया और संयोग का को स्थाई किया जाए
-रसोईया संजीविका को न्यूनतम वेतन लागू किया जाए
-5 लाख का निशुल्क बीमा कराया जाए
-दो सेट साड़ी दी जाए, पेंशन स्कीम से जोड़कर पेंशन लागू किया, सीएमपीएफ लागू किया जाए
-रसोईया-संयोजिका को मातृत्व अवकाश देते हुए ग्रेच्यूटी का लाभ दिया जाए
-काम के दौरान चोट लगने पर इलाज की व्यवस्था हो
-सेंट्रलाइज्ड मध्याहन भोजन बंद किया जाए
-हटाए गए रसोईया-संयोजिका को पुन: बहाल किया जाए
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