Joharlive Team
रांची। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह कहा कि शिक्षा का उद्देश्य बेहतर इंसान बनना है। हमारी बेटियां उच्चशिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। अधिकांश विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में मैंने देखा है कि गोल्ड मेडल विजेताओं में बेटियां अधिक होती हैं। उन्होंने विश्विद्यालयों से गांवों के विकास के लिए उसे गोद लेने की अपील की। साथ ही विद्यार्थियों से आदिवासियों के विकास के लिए काम करने तथा मातृ-पितृ, आचार्य ऋण के अलावा समाज ऋण चुकाने के लिए तत्पर रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आपके विश्वविद्यालय (सेंट्रल यूनिवर्सिटी) में पिछले छह वर्षों में 96 में से 64 छात्राओं ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया है। बेटियों का ये शानदार प्रदर्शन सुनहरे भारत की एक झलक दिखाता है। बेटों की तुलना में बेटियों को चुनौतियों और बाधाओं का अधिक सामना करना पड़ता है। राष्ट्रपति कोविंद शुक्रवार को रांची के मनातू स्थित सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे, जहां उन्होंने उक्त बातें कही। समारोह में राष्ट्रपति के अलावा उनकी पत्नी, राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, सीयूजे के चांसलर जस्टिस वीएन खरे भी मौजूद रहे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इससे पहले 10 छात्रों को गोल्ड मेडल दिया। बता दें कि यहां 96 टॉपरों में से सिर्फ 18 टॉपरों को गोल्ड मेडल दिया गया। 10 टॉपर्स के अलावा आठ टॉपर्स को सीयूजे के चांसलर जस्टिस वीएन खरे ने गोल्ड मेडल दिया। समारोह में कुल 596 पास आउट छात्रों को उपाधि दी गई। इसमें पीजी के 493 और यूजी के 103 विद्यार्थी शामिल हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की धरती पर स्थित विश्वविद्यालय में उजार्वान छात्रों के बीच आकर मुझे प्रसन्नता हुई। उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों, उनके शिक्षकों और अभिभावकों को बधाई देता हूं। दशकों के बाद पहला दीक्षांत समारोह हो रहा है, इसके लिए विश्वविद्याल परिवार की भी सराहना करता हूं। राष्ट्रपति ने कहा कि इतने साल क्यों लगे, कुछ बाधाएं रही है। लेकिन क्रम शुरू हो चुका है तो ये आगे भी चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि अगर कभी-कभी ट्रेन लेट हो जाती है लेकिन अगर चल जाती है तो उम्मीद होती है कि अगले स्टेशन पर टाइम से पहुंचेगी।