रांची : महिला, बाल विकास मंत्री जोबा मांझी ने आज विधानसभा में कहा कि राज्य के सभी जिलों में पोषण सखी की नियुक्ति पर सरकार समेकित निर्णय लेगी। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में पोषण अभियान के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत राज्य के छह जिलों चतरा, गिरिडीह, धनबाद, गोड्डा और कोडरमा में आंगनबाड़ी केंद्र में 10 हजार से ज्यादा पोषण सखी का चयन किया था, लेकिन पोषण के मामले में झारखंड काफी पिछड़ा हुआ है । इसलिए राज्य के सभी जिलों में पोषण अभियान चलाने की जरुरत है। इस संबंध में उन्होंने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को भी पत्र लिखा, लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि राज्य सरकार अपने संसाधन से योजना का किर्यान्वयन कर सकती है।
भाकपा-माले के विनोद कुमार सिंह के एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सरकार की ओर से उत्तर देते हुए श्रीमती मांझी ने बताया कि राज्य में अतिरिक्त आंगनबाड़ी सेविका सह पोषण परामर्शी (पोषण सखी) की नियुक्ति छह जिलों में की गयी थी। भारत सरकार के निर्देश के आलोक में इन कर्मियों को 3000 रुपये प्रति माह मानदेय भुगतान किया जाता था। मानदेय भुगतान के लिए 75 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार और 25 प्रतिशत राशि राज्य सरकार वहन करती थी। लेकिन बाद में केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को बंद कर दिया गया। इस बीच पोषण सख्यिों के 11 महीने का बकाया हो गया। इस सत्र में सरकार की ओर से तृतीय अनुपूरक बजट में पोषण सखी कर्मियों के बकाया भुगतान के लिए 38 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। जल्द ही बकाया भुगतान कर दिया जाएगा।
इससे पहले माले विधायक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि यह बहुत ही दु:खद है कि झारखंड में 29 हजार बच्चे अपना पहला जन्मदिन नहीं देख पा रहे हैं। कुपोषण के मामले में 116 देशों की सूची में भारत 101 स्थान पर है। विधायक प्रदीप यादव और सरयू राय , आजसू पार्टी के सुदेश महतो और कांग्रेस की दीपिका पांडेय सिंह समेत अन्य ने भी छह जिलों में कार्यरत पोषण सखी की सेवा को बरकरार रखने का आग्रह किया।