नई दिल्ली: वर्ष 1974 में इंदिरा गांधी सरकार के दौरान कच्चातीवू द्वीप को श्रीलंका को “स्वेच्छा से छोड़ने” के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि कांग्रेस को “इस पर कोई पछतावा नहीं है. सूचना के अधिकार (आरटीआई) रिपोर्ट में तत्कालीन प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी की सरकार के 1974 में कच्चातीवू के रणनीतिक द्वीप को श्रीलंका को सौंपने के फैसले का खुलासा होने के बाद, शाह ने कहा कि कांग्रेस केवल “देश को विभाजित करना या तोड़ना” चाहती थी.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस के लिए धीमी ताली! उन्होंने स्वेच्छा से कच्चतीवू को छोड़ दिया और उन्हें इसका कोई पछतावा भी नहीं था. कभी कांग्रेस के एक सांसद देश को विभाजित करने के बारे में बोलते हैं और कभी-कभी वे भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बदनाम करते हैं. इससे पता चलता है कि वे भारत की एकता और अखंडता के खिलाफ हैं. इससे पहले, कच्चातिवू द्वीप श्रीलंका को देने के लिए कांग्रेस पार्टी पर कड़ा प्रहार करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इससे लोगों में गुस्सा है और उन्होंने कहा कि कांग्रेस पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता.
बता दें कि रामेश्वरम (भारत) और श्रीलंका के बीच स्थित इस द्वीप का उपयोग पारंपरिक रूप से श्रीलंकाई और भारतीय दोनों मछुआरों द्वारा किया जाता था. 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने “भारत-श्रीलंकाई समुद्री समझौते” के तहत कच्चातिवु को श्रीलंकाई क्षेत्र के रूप में स्वीकार किया था.
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