Patna : बिहार विधानसभा चुनावों में अब 6-7 महीने का वक्त बचा है. बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने अपनी तैयारियों को तेज़ कर दिया है. पार्टी नेतृत्व लगातार बिहार दौरे कर रहा है और संगठन को मजबूत करने में जुटा है. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे 19 और 20 अप्रैल को दो दिवसीय दौरे पर बिहार पहुंच रहे हैं. 19 अप्रैल को वह बक्सर में जनसभा को संबोधित करेंगे, जबकि 20 अप्रैल को पटना में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से मुलाकात करेंगे. इस दौरान वे चुनावी फीडबैक लेंगे और आगामी रणनीतियों पर चर्चा करेंगे.
बता दें कि इससे पहले 7 अप्रैल को राहुल गांधी पटना पहुंचे थे. उन्होंने संविधान सुरक्षा सम्मेलन में शिरकत की थी. अपने भाषण में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और PM नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा था कि, “देश के संविधान में सावरकर की सोच नहीं है, बल्कि इसमें महात्मा गांधी, नेहरू और अंबेडकर की सोच है. आज देश में आदिवासी और दलितों को द्वितीय दर्जे का नागरिक बना दिया गया है.”
राहुल गांधी ने बिहार में कांग्रेस की पुरानी गलतियों को भी स्वीकार किया. उन्होंने कहा, “हम जिस मजबूती से काम कर सकते थे, नहीं किया. अब हम पिछड़े, दलित और कमजोर वर्गों को साथ लेकर पूरी ताकत से आगे बढ़ेंगे.”
संगठन में बड़े बदलाव
कांग्रेस ने बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कई अहम संगठनात्मक फैसले लिए हैं. कृष्णा अल्लावरू को प्रदेश प्रभारी बनाकर भेजा गया. वहीं अखिलेश सिंह की जगह राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया. इसके अलावा 40 जिलाध्यक्षों की नई सूची जारी की गई, जिसमें 21 नए चेहरे शामिल हैं.
4 अप्रैल को राहुल गांधी ने इन सभी जिलाध्यक्षों के साथ दिल्ली में बैठक की थी. साथ ही 7 अप्रैल को बेगूसराय में कन्हैया कुमार की ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा में हिस्सा लिया था. इस यात्रा का मकसद राज्य में बेरोजगारी और पलायन जैसे अहम मुद्दों को लेकर जनजागरण करना था.
पदयात्रा और प्रदर्शन
कन्हैया कुमार की 26 दिन की पदयात्रा 11 मार्च को पटना में खत्म हुई, जहां वे CM नीतीश कुमार से मुलाकात करना चाहते थे. हालांकि, पुलिस ने उन्हें सीएम हाउस से 3 किलोमीटर पहले ही रोक दिया. राजापुर पुल के पास कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच नोकझोंक हुई और वाटर कैनन का इस्तेमाल कर भीड़ को नियंत्रित किया गया. कन्हैया कुमार और यूथ कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान को हिरासत में लिया गया, हालांकि एक घंटे बाद रिहा कर दिया गया.
कांग्रेस ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वह बिहार में इस बार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती. शीर्ष नेतृत्व की सक्रियता, संगठनात्मक बदलाव और जन मुद्दों को लेकर की जा रही यात्राएं, पार्टी की मंशा को साफ़ तौर पर दर्शा रही हैं. मिशन बिहार की शुरुआत हो चुकी है – अब देखना होगा कि जनता कांग्रेस के इस बदले हुए तेवर को कितना समर्थन देती है.
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