नई दिल्ली। कांग्रेस के नेता डॉ अजय कुमार ने राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू पर आपत्तिजनक टिप्पणी करके एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। मीडिया को दिए एक बयान में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू भारत के सबसे खराब दर्शन (ईविल फिलॉस्फी ऑफ इंडिया) का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि द्रौपदी मुर्मू को आदिवासियों का प्रतीक नहीं बनाया जाना चाहिए। समाचार एजेंसी से बातचीत करते हुए कांग्रेस के नेता डॉ अजय कुमार ने कहा कि देश में अनुसूचित जाति के लोगों की स्थिति बदतर हो गई है।
बता दें कि कांग्रेस नीत 17 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति पद के लिए साझा उम्मीदवार के तौर पर पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को द्रौपदी मुर्मू के मुकाबले खड़ा किया है. आगामी 18 जुलाई को देश में राष्ट्रपति का चुनाव होना है. ऐसे में कांग्रेस के नेता डॉ अजय कुमार ने द्रौपदी मुर्मू की आदिवासियत पर सवाल खड़ा करके एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। अपने बयान में उन्होंने कहा कि यह द्रौपदी मुर्मू के बारे में नहीं है। यशवंत सिन्हा भी एक अच्छे उम्मीदवार हैं और द्रौपदी मुर्मू एक अच्छे इंसान भी है, लेकिन वह (द्रौपदी मुर्मू) भारत के सबसे खराब दर्शन (वेरी ईविल फिलॉस्फी ऑफ इंडिया) का प्रतिनिधित्व करती हैं. उन्होंने कहा कि हमें उन्हें आदिवासी का प्रतीक नहीं बनाना चाहिए।
इतना ही नहीं, कांग्रेस के नेता डॉ अजय कुमार ने हाथरस कांड के बहाने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पर भी हमले किए. उन्होंने कहा कि हमारे पास राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं। हाथरस में कांड हुआ, लेकिन उन्होंने इस पर एक शब्द भी कुछ कहा? उन्होंने कहा कि देश में अनुसूचित जाति की स्थिति बद से बदतर हो गई है।
राष्ट्रपति चुनाव को राष्ट्र की आत्मा के लिए लड़ाई बताते हुए कांग्रेस नेता डॉ अजय कुमार ने कहा कि सभी समान विचारधारा वाले दलों को विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को वोट देना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रतीक बनाकर भारत के लोगों को बेवकूफ बनाना मोदी सरकार का काम है। उन्होंने दोहराया कि यह देश की आत्मा की लड़ाई है और समान विचारधारा वाले दलों को यशवंत सिन्हा को वोट करना चाहिए।
बता दें कि आगामी 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू जीत हासिल करती हैं, तो वह भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी। वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं। एक महिला राज्यपाल के तौर पर उन्होंने वर्ष 2015 से लेकर 2021 तक कार्य किया। ओडिशा के सबसे पिछड़े जिले के तौर पर जाना जाने वाले जिले मूयरभंज के एक गरीब आदिवासी परिवार में जन्मी द्रौपदी मुर्मू ने कठिनाइयों में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी कीं।
राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू 2013 से 2015 तक भाजपा के एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य रह चुकी हैं. इसके बाद वर्ष 2010 और 2013 में मयूरभंज (पश्चिम) के भाजपा जिला प्रमुख के रूप में कार्य किया। वर्ष 2006 और 2009 के बीच वह ओडिशा में भाजपा के एसटी मोर्चा की प्रमुख थीं। वह 2002 से 2009 तक भाजपा एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य रहीं।