रांची : 28 अक्तूबर को अश्विन माह की पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन महर्षि वाल्मीकि की जयंती भी मनाई जाती है. इस वर्ष की शरद पूर्णिमा में सालों बाद ऐसा संयोग मिल रहा है कि खंडग्रास चंद्रग्रहण और गजकेसरी योग एक साथ हो रहा है. यह चंद्र ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा. शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त रहता है और ऐसे में चंद्र ग्रहण लगना विशेष है. यह चंद्र ग्रहण अश्विन नक्षत्र और मेष राशि में होगी. इसलिए यह राशि और नक्षत्र में जन्में लोगों को चंद्र, राहु और मंगल का जप करना चाहिए.
चंद्र ग्रहण का समय
प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि ऋषिकेश पञ्चाङ्ग के अनुसार खंडग्रास चंद्र ग्रहण की अवधि 1 घंटा 18 मिनट का होगा.
चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर दिन शनिवार की मध्य रात्रि 01:05 मिनट में शुरू होगा और उसी रात 02:24 मिनट पर समाप्त होगा. चंद्रग्रहण का सूतक 9 घंटा पहले लगता है. चंद्र ग्रह का सूतक 28 अक्तूबर को संध्या 04:05 मिनट पर शुरू हो जाएगा.
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण होने के कारण खीर बनाने की परंपरा का निर्वाह नहीं हो पाएगा. किंतु अगर शुद्ध परंपरा का निर्वाह करना है तो 28 अक्तूबर शनिवार को रात्रि चंद्र ग्रहण समाप्त होने के पश्चात 02:24 मिनट पर स्नान कर के खीर बना कर चांद की चांदनी में रख कर 29 अक्तूबर सूर्योदय के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण करें.
राशि अनुसार ग्रहण का प्रभाव
मेष राशि: घात, शत्रुता हो सकती है
वृष: धन हानि
मिथुन: उन्नति, धन लाभ
कर्क: शुख पर भय होगा.
सिंह: संतान की चिंता, सम्मान में कमी.
कन्या: शत्रु भय, कष्ट होगा
तुला: पति/ पत्नी संबंध खराब
वृश्चिक: गुप्त चिंता
धनु: धन खर्च, चिंता
मकर: कार्यों में सफलता, व्यथा
कुंभ: उन्नति धन लाभ
मीन: धन की हानि, क्षति होगा.
प्रसिद्ध ज्योतिष
आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम, अरगोड़ा, रांची
8210075897