झारखंड: झारखंड सरकार ने कोयले पर सेस को 100 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 250 रुपये प्रति टन करने का फैसला किया है। इसका सीधा असर कोयला कंपनियों, उद्योगों और आम जनता की जेब पर पड़ेगा। कोयले की कीमत भी सेस के अनुरूप बढ़ेगी, जिससे बिजली और अन्य कोयला-आधारित उद्योगों की लागत में वृद्धि होगी।
झारखंड में औसतन सालाना 140 मिलियन टन से अधिक कोयला उत्पादन होता है, और यह देश का इकलौता कोकिंग कोल उत्पादक राज्य है। झारखंड सरकार को इस बढ़े हुए सेस से भारी राजस्व मिलेगा, जो कि 15 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
यह फैसला वित्त वर्ष 2025-26 में खनिजों से सेस के माध्यम से अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए लिया गया है। कोयला कंपनियों को अब राज्य सरकार को अधिक राजस्व देना होगा, जो कि सेस के अलावा रॉयल्टी और डीएमएफटी के रूप में भी मिलेगा।
कोयला कंपनियों के लिए यह फैसला बड़ा झटका हो सकता है, क्योंकि इससे उनकी लागत में वृद्धि होगी। इसका सीधा असर आम जनता पर भी पड़ेगा, क्योंकि बिजली और अन्य कोयला-आधारित उद्योगों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
झारखंड सरकार के इस फैसले से राज्य के खजाने में भारी राजस्व की वृद्धि होगी, लेकिन इसका सीधा असर आम जनता और उद्योगों पर पड़ेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि झारखंड सरकार इस बढ़े हुए राजस्व का उपयोग कैसे करती है और इसका लाभ आम जनता को कैसे पहुंचाती है।
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