Ranchi : CM हेमंत सोरेन ने मकर संक्रांति की शुभकामनाएं दी. CM ने इस मौके पर राज्य वासियों के लिए सुख- समृद्धि,खुशहाली, शांति ,उन्नति और अच्छे स्वास्थ्य की कामना की. वहीं उन्होंने प्रकृति परब टुसू की भी सभी को शुभकामनाएं दी है. CM ने इस मौके पर अपने x हैन्डल पर पोस्ट कर लिखा कि प्रकृति और लोक उत्सव का महापर्व सोहराय, टुसू परब, बुरु मागे परब और मकर संक्रांति की आप सभी को अनेक-अनेक बधाई, शुभकामनाएं और जोहार. प्रकृति का यह महापर्व आप सभी को स्वस्थ रखें. आप सभी समृद्ध और खुशहाल रहें, यही कामना करता हूं.
प्रकृति और लोक उत्सव का महापर्व सोहराय, टुसू परब, बुरु मागे परब और मकर संक्रांति की आप सभी को अनेक-अनेक बधाई, शुभकामनाएं और जोहार।
प्रकृति का यह महापर्व आप सभी को स्वस्थ रखें। आप सभी समृद्ध और खुशहाल रहें, यही कामना करता हूँ। pic.twitter.com/LuIXkc0JY6
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) January 14, 2025
मकर संक्रान्ति :
भारत के प्रमुख पर्वों में से एक मकर संक्रान्ति पूरे भारत और नेपाल में भिन्न रूपों में मनाया जाता है. पौष मास में जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है उस दिन इस पर्व को मनाया जाता है. वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है. तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में जाना जाता हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं. बिहार के कुछ जिलों में यह पर्व ‘तिला संक्रांत’ नाम से भी प्रसिद्ध है. मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं. 14 जनवरी के बाद से सूर्य उत्तर दिशा की ओर अग्रसर (जाता हुआ) होता है. इसी कारण इस पर्व को ‘उतरायण’ (सूर्य उत्तर की ओर) भी कहते है. वैज्ञानिक तौर पर इसका मुख्य कारण पृथ्वी का निरंतर 6 महीनों के समय अवधि के उपरांत उत्तर से दक्षिण की ओर वलन कर लेना होता है. और यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है.
कुंवारी कन्याएं प्रतिदिन संध्या समय टुसू की करती हैं पूजा :
टुसू पर्व या टुसू परब भारत में अगहन माह से पौष माह के अंतिम दिन यानी मकर संक्रांति पर आयोजित होने वाला एक लोक उत्सव है. यह फसलों की कटाई के आनंद में कृषि समाज के विश्वास का एक एकीकृत रूप है. झारखंड के कई इलाकों में टुसू पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. खासकर झारखंड के दक्षिण पूर्व इलाको में टुसू पर्व का खास महत्व है. इसके अलावा अघन संक्रांति (15 दिसंबर) से लेकर मकर संक्रांति (14 जनवरी) तक इसे कुंवारी कन्याओं के द्वारा मनाया जाता है. यही नहीं बल्कि कुंवारी कन्याएं प्रतिदिन संध्या समय में टुसू की पूजा करती हैं. उत्सव के अंत में, टूसू देवी की छवि का विसर्जन टुसू गीतों के साथ विशद रूप से किया जाता है. त्योहार के दौरान ग्रामीण मेलों का भी आयोजन किया जाता है. टुसू त्योहार, ज्यादातर पश्चिम बंगाल के दक्षिण पश्चिम, झारखंड के दक्षिण पूर्व, पूर्वोत्तर ओडिशा के साथ-साथ असम के चाय-राज्य में मनाया जाता है.
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