रांची: सीएम हेमंत सोरेन ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को एक पत्र में चाय जनजातियों के अधिकारों की रक्षा के लिए अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने का अनुरोध किया है. वहां चाय जनजातियों की संख्या 70 लाख है, लेकिन उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जबकि झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में ये समुदाय अनुसूचित जनजातियों के रूप में मान्यता प्राप्त हैं. पत्र में कहा गया है कि चाय जनजातियों को सरकारी योजनाओं और लाभों से वंचित रखा गया है, जिससे उनकी सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. वर्तमान में जनजातियों को शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं में आरक्षण का कम लाभ मिल रहा है. समुदाय के सदस्यों का कहना है कि उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने में कठिनाई हो रही है और उनकी सामाजिक पहचान को संरक्षित करने की आवश्यकता है. इस स्थिति के समाधान के लिए नीतिगत सुधारों की आवश्यकता है ताकि जनजातियों को उचित सुरक्षा और विकास के अवसर मिल सकें. पत्र में जोर देकर कहा कि जनजातियों की पहचान और उनके योगदान को मान्यता देने से न केवल उन्हें लाभ होगा, बल्कि यह असम की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को भी बनाए रखेगा.