रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राजभवन पहुंचे और राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से शिष्टाचार मुलाकात की. द्रौपदी मुर्मू सोमवार को ओडिशा स्थित अपने पैतृक गांव के लिए रवाना हो जाएंगी. द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल हैं इन्होंने 6 साल तक झारखंड में अपनी सेवा दी. बतौर राज्यपाल उनका कार्यकाल सबसे लंबा रहा. राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने मीडिया से बातचीत में अपने 6 वर्षों का अनुभव साझा किया था. इस दौरान उन्होंने कहा कि आदिवासियों को मुख्यधारा में लाने के लिए उनको शिक्षित करना होगा. उन्हें बताना होगा कि संविधान ने उन्हें कौन-कौन से अधिकार दिए हैं.
रविवार को होगा विदाई समारोह
सोमवार को द्रौपदी मुर्मू अपने पैतृक गांव के लिए रवाना हो जाएंगी. राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के लिए रविवार को राजभवन में विदाई समारोह होगा. यह आयोजन देर शाम होगा. शपथ ग्रहण को लेकर सरकार की ओर से तैयारी शुरू कर दी गई है और उनकी लगातार बैठकें हो रही हैं. दोनों राज्यपालों के कार्यक्रम के मद्देनजर प्रोजेक्ट भवन में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में मुख्य सचिव ने कार्यक्रम से संबंधित निर्देश दिये.
14 फरवरी को शपथ लेंगे रमेश बैस
रमेश बैस को झारखंड का नया राज्यपाल बनाया गया है. जानकारी के मुताबिक 14 फरवरी को उनको राज्यपाल पद की शपथ दिलाई जाएगी जाएगी. रमेश बैस इससे पहले त्रिपुरा के राज्यपाल थे. रमेश बैस ने कांग्रेस के कद्दावर नेता विद्याचरण शुक्ल और श्यामाचरण शुक्ल जैसे नेताओं को हराया है. छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी 2009 में रमेश बैस से चुनाव हार चुके हैं. रमेश बैस की एक खास बात यह है कि वे कभी चुनाव नहीं हारे.
लगातार चुनाव जीतने के बाद भी 2019 में उन्हें टिकट नहीं दिया गया. इसके बाद माना जा रहा था कि उन्हें साइडलाइन कर दिया गया है. लेकिन चुनाव के बाद उन्हें त्रिपुरा का राज्यपाल बनाया गया. रमेश बैस लाल कृष्ण आडवाणी के काफी करीबी माने जाते हैं. वे केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के भी काफी करीबी थे. सुषमा स्वराज से उनके पारिवारिक संबंध रहे. सुषमा स्वराज रमेश बैस को अपना भाई मानती थीं.