झारखंड

रोजगार मेला में युवाओं को ऑफर लेटर देकर बोले सीएम, रोजगार से जोड़ने का सिलसिला जारी

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि जब हमारी सरकार बनी तब ठीक से हम मंत्रिमंडल का विस्तार भी नहीं कर पाए. कोरोना संक्रमण जैसी महामारी ने देश और दुनिया को अपने चपेट में ले लिया. कोविड संक्रमण इतना भयावह और डरावना था कि पूरा देश और दुनिया रुक गई. देश ने इससे पहले इस तरीके की वैश्विक चुनौती कभी नहीं देखी थी. इस प्रकार का वैश्विक संक्रमण पिछड़े एवं गरीब राज्यों के लिए सबसे ज्यादा तकलीफ देने वाला होता है. गरीब, मजदूर एवं जरूरतमंदों के लिए यह अभिशाप जैसा था. सभी लोग अपने-अपने घरों के भीतर बन्द रहने को मजबूर हो गए थे. लॉकडाउन में रोजगार के सभी साधन बंद हो गए. ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा नुकसान प्रवासी मजदूरों को हुआ क्योंकि वे बेघर हो गए. उक्त बातें मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने टाना भगत इंडोर स्टेडियम खेलगांव रांची में आयोजित “रोजगार मेला” में 2500 कौशल प्राप्त युवाओं को ऑफर लेटर का वितरण करने के दौरान कहीं. उन्होंने कहा कि अब युवाओं को रोजगार से जोड़ने का सिलसिला जारी है.

कोरोना संक्रमण में बेहतर मैनेजमेंट

झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य बना जिसने प्रवासी मजदूरों को लॉकडाउन के समय हवाई जहाज सहित विभिन्न माध्यमों से वापस घर लाने का कार्य कर दिखाया. लॉकडाउन के कारण कई इंडस्ट्री बंद हुए जो आज तक उबर नहीं पाए. कोरोना संक्रमण का असर आज भी कहीं न कहीं देखने को मिल रहा है. ऐसी विपरीत स्थिति में भी हमारी सरकार ने एक बेहतर मैनेजमेंट का उदाहरण देते हुए बिना कोई अपना-तफरी के राज्यवासियों और प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित रखने का काम कर दिखाया है. वैश्विक महामारी के समय हमारी सरकार के अधिकारी निरंतर यहां के जनमानस को बचाने का रास्ता ढूंढते रहे. राज्य सरकार एवं महिला समूह की दीदियों ने गांव-गांव पंचायत-पंचायत पहुंचकर लोगों को खाना खिलाया, घरों पर अनाज उपलब्ध कराया. कोविड से निपटने में हमारी महिला दीदियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

झारखंड की खनिज से दूसरे राज्य रोशन

मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसे ही कोरोना संक्रमण का धुंध छंटा राज्य सरकार ने रोजगार सृजन को लेकर एक बेहतर रणनीति बनाई और दूसरे प्रदेश से लौटे मजदूर सहित यहां के किसान, गरीब, जरूरतमंदों को कई योजनाओं से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 100 वर्ष से भी अधिक समय से झारखंड में खनिज-संपदा निकालने का काम किया गया परंतु यहां की खनिज-संपदा का पूरा लाभ राज्यवासियों को नहीं मिला बल्कि दूसरे प्रदेश के लोगों के घर हमारे खनिज-संपदाओं से रोशन हुए. राज्य सरकार ने झारखंड में एक बेहतरीन उद्योग पॉलिसी बनाते हुए टेक्सटाइल इंडस्ट्री को जोड़ा. राज्य सरकार और टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लोगों ने वादे के मुताबिक 75% स्थानीय लोगों को अपने संस्थानों में नियुक्तियां दीं. राज्य सरकार के साथ-साथ टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लोगों ने भी कदम से कदम मिलते हुए जरूरतमंद लोगों को रोजगार से जोड़ने का काम किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले डेढ़ वर्षो में 50 हजार से अधिक युवक-युवतियों को निजी क्षेत्र में नियुक्तियां देने का काम राज्य सरकार ने कर दिखाया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले गांव-देहात के नौजवान फौज में नौकरी करने की तैयारी करते थे परंतु वर्तमान के समय में फौज में भी नियुक्तियां रुक सी गई हैं. गांव-देहात के वैसे बच्चे जो शहर में रहकर पढ़-लिख जाते थे वे बैंक और रेलवे में नौकरी की तैयारी करते थे लेकिन गलत नीति-निर्धारण के कारण आज बैंक तथा रेलवे में नौकरियां घटी हैं. केंद्र सरकार के कई उद्यम अब निजी हाथों में चला गया है.

योग्यता और क्षमता के अनुरूप योजनाएं

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने जितनी भी योजनाएं बनाई हैं वे सभी योजनाएं यहां के आदिवासी-मूलवासी के योग्यता और क्षमता के अनुरूप ही बनाया गया है. राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में यहां की महिलाओं का भी अहम योगदान है. जितनी भी महिलाएं आज इस इंडोर स्टेडियम में मौजूद हैं कहीं न कहीं सभी आत्मनिर्भर हो चुकी हैं. उन्होंने महिलाओं से अपील किया कि वह राज्य सरकार की भी योजनाओं से जुड़कर स्वरोजगार भी करें. मुख्यमंत्री ने कहा कि रोटी, कपड़ा, और मकान हर मनुष्य की आवश्यकता होती है. कोई भी व्यक्ति बिना भोजन, बिना कपड़े और बिना छत के नहीं रह सकता है. कई चुनौतियां और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हमारी सरकार ने पक्के मकान से वंचित लोगों के लिए अबुआ आवास योजना का शुभारंभ किया है. राज्य के सभी 60 वर्ष से अधिक बुजुर्ग व्यक्तियों को पेंशन दे रही है. राज्य में दिव्यांग, विधवा सभी को पेंशन योजना से आच्छादित किया गया है. झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य है जहां सर्वजन पेंशन योजना लागू की गई है. राज्य के स्कूलों में अध्यनरत सभी बच्चियों को सावित्रीबाई फुले योजना से जोड़ा जा रहा है. इस योजना के तहत बच्चियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए आर्थिक सहयोग दी जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी दलित पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक के बच्चे कुछ शिक्षा के लिए विदेश में अब पढ़ने जा रहे हैं. राज्य सरकार विदेश में पढ़ाई करने वाले बच्चों को सत प्रतिशत स्कॉलरशिप उपलब्ध करा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की सोच है कि यहां के बच्चे भी अब पढ़ लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, जज सहित अन्य सरकारी अफसर बने इस निमित गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना संचालित की जा रही है.

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