जामताड़ा: जामताड़ा विधानसभा चुनाव में इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण दिखाई दे रहा है. कांग्रेस के दो बार से विजेता प्रत्याशी और कैबिनेट मंत्री डॉक्टर इरफान अंसारी के लिए यह चुनावी संघर्ष कठिन प्रतीत हो रहा है. हालांकि, वे मीडिया के सामने अपनी जीत का भरोसा दिखाते हैं, लेकिन उनके चेहरे पर छिपी घबराहट और चुनावी रणनीतियों से साफ पता चलता है कि इस बार उनका मुकाबला कड़ी चुनौती से हो रहा है.

उनकी घबराहट का कारण कोई और नहीं, बल्कि भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन हैं, जो इस बार जामताड़ा विधानसभा की अनारक्षित सीट से मैदान में हैं. सोरेन परिवार की बड़ी बहू के रूप में सीता सोरेन की लोकप्रियता और भाजपा के समर्थन से इस सीट पर चुनावी समीकरणों ने नया मोड़ लिया है. उनके पक्ष में पार्टी कार्यकर्ताओं की एकजुटता और उत्साह साफ तौर पर नजर आ रहा है, जो डॉक्टर इरफान अंसारी के लिए एक गंभीर चुनौती पेश कर रहा है. सीता सोरेन के चुनावी अभियान की गति और उनके समर्थन में चल रही व्यापक मेहनत ने कांग्रेस के उम्मीदवार के लिए स्थिति को और कठिन बना दिया है. इस सबके बीच, डॉक्टर इरफान अंसारी का सघन दौरा और कार्यकर्ताओं की सक्रियता इस बात को दर्शाती है कि वे इस चुनाव को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते.

इसी बीच, जामताड़ा विधानसभा में चुनावी दंगल में एक और नाम उभरकर सामने आया है—तरुण कुमार गुप्ता, जो इस बार कैंची छाप चुनाव चिह्न से मैदान में हैं. आजसू पार्टी के नेता के तौर पर कई वर्षों तक पहचान बनाने के बाद, उन्हें टिकट न मिलने से नाराज होकर जयराम महतो की पार्टी से चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं. तरुण गुप्ता के साथ सैकड़ों मुस्लिम कार्यकर्ता भी चुनाव प्रचार में शामिल हैं और उन्होंने अपनी पूरी ताकत इस चुनावी संघर्ष में झोंक दी है.

हालांकि, स्थानीय चुनावी पंडितों और विश्लेषकों के अनुसार, तरुण गुप्ता की स्थिति बहुत मजबूत नहीं दिख रही है. उनका अनुमान है कि वे इस चुनाव में 5,000 वोटों से अधिक हासिल करने में सक्षम नहीं होंगे. जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या महत्वपूर्ण है, लेकिन इस बार मुस्लिम समुदाय के एक से अधिक प्रत्याशियों के मैदान में होने के कारण उनके वोट आपस में बंट सकते हैं. तरुण गुप्ता के चुनाव प्रचार में कोई कमी नहीं रही है. वे शहर में सबसे पहले प्रचार गाड़ी लेकर निकले और अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई. हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका प्रचार कितनी मात्रा में वोटों में तब्दील होता है. जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस, भाजपा और अब कैंची छाप प्रत्याशी के बीच मुकाबला बेहद रोचक बन चुका है

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