रांची : राज्य के सबसे बड़े मेडिकल कालेज-हॉस्पिटल को वर्ल्ड क्लास बनाने के दावे किए जा रहे है. मंत्री से लेकर निदेशक अधिकारी हॉस्पिटल की उपलब्धियां गिनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते. लेकिन हॉस्पिटल में मरीजों की जांच करने वाली मशीनें ही खराब पड़ी है. जिस पर प्रबंधन का ध्यान नहीं है. आज इसका खामियाजा मरीज भुगत रहे है. वहीं जांच कराने के लिए मरीजों को जेब ढीली करनी पड़ रही है. चूंकि प्राइवेट में उसी जांच के लिए चार से पांच गुना तक अधिक पैसे चुकाने पड़ते है. बता दें कि हॉस्पिटल का सालाना बजट 400 करोड़ रुपए से अधिक का है. इसके बावजूद मशीनों को लेकर प्रबंधन गंभीर नहीं है.
एमआरआई कभी ठीक रहती ही नहीं
हॉस्पिटल में लगी एमआरआई मशीन पुरानी हो चुकी है. अब मेंटेनेंस के बाद भी ठीक से नहीं चल पाती. ऐसे में नई मशीन खरीदने की योजना प्रबंधन ने बनाई थी. लेकिन कई महीने बीत जाने के बाद भी नई मशीन की खरीदारी नहीं हो पाई. ऐसे में पुरानी मशीन भी कभी ठीक नहीं रहती. जिससे कि रिम्स के मरीजों को भी बाहर जांच करानी पड़ती है. इस चक्कर में मरीज को हॉस्पिटल से बाहर ले जाना पड़ता है. वहीं मरीजों की परेशानी बढ़ जा रही है.
टीएमटी मशीन दो महीने से खराब
कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में लगी टीएमटी मशीन दो महीने से खराब पड़ी है. एक मशीन के रहने का खामियाजा हार्ट के मरीज भुगत रहे है. ऐसे में एक ही मशीन पर रिम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीजों का लोड है. जिससे घंटों तक मरीजों को जांच कराने के लिए इंतजार करना पड़ता है. वहीं प्राइवेट में जांच कराने में तीन से चार गुना अधिक पैसे चुकाने पड़ रहे है. वहीं मरीजों को परेशानी हो रही है सो अलग.