रांची : स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई कार्यक्रम चलाए जा रहे है. इसके लिए लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी करता है. साथ ही लोगों को जागरूक करने की जिम्मेवारी भी स्वास्थ्य विभाग की है. इसी के तहत सिविल सर्जन रांची के द्वारा जारी किया गया एक पत्र वायरल हो रहा है जो 10 अक्टूबर 2023 का है. जिसमें राष्ट्रीय कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के लिए घरों के बाहर बोर्ड लगाने का आदेश दिया गया है. वहीं इसके बदले में घर के मालिक से 40 रुपए लेने का जिक्र किया गया है. हालांकि इस आदेश में यह भी जिक्र किया गया है कि बोर्ड लगाने वाली संस्था के एजेंट घर के मालिक पर इसके लिए दबाव नहीं बनाएंगे.
क्या लिखा है आदेश में
सिविल सर्जन की ओर से जारी कार्यालय आदेश में लिखा गया है कि सचिव संजय कुमार राय, शिवम सेवा संस्थान, देवरीकला, झारखण्ड के द्वारा समर्पित अभ्यावेदन के आलोक में उनके द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के सभी मकानों पर राष्ट्रीय कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार करने हेतु अनुरोध है किया गया है. संबंधित अभ्यर्थी द्वारा सिविल सर्जन, जिला लातेहार, सरायकेला खरसंया द्वारा निर्गत पत्राचार भी कार्यालय को दिया गया है. इनके अभ्यावेदन के आलोक में निम्नांकित IEC-BCC की जा सकती है. जिसमें 1. बेटी बचाओं बेटी पढाओ, 2. घर-घर में शौचालय बनवाएँ बहु बेटी बाहर न जायें, 3. स्वस्थ्य परिवार सुखी परिवार, 4. मच्छरदानी लगाएं मलेरिया से अपने को बचायें, 5. दो सप्ताह की खांसी, टीबी जांच जरूरी, स्वा केन्द्र में निःशुल्क बलगम जांच करायें, 6. सभी HWC पर निःशुल्क शुगर बीपी की जांच एवं दवा उपलब्ध है.
40 रुपए प्रति प्लेट तय
आदेश में लिखा गया है कि उपर्युक्त का प्रचार-प्रसार से संबंधित नारायुक्त प्लेट लगाने का कार्य करेंगे. प्रति प्लेट की कीमत रू० 40/ (चालीस रूपया मात्र) भुगतान किया जा सकता है. जिसका भुगतान गृह स्वामी करेंगे एवं रसीद प्राप्त कर लेंगे. इसके लिए अभिकर्ता द्वारा किसी प्रकार का दबाव गृह स्वामी पर नहीं दिया जाएगा. इस कार्य में प्रखण्ड विकास पदाधिकारी/अंचलाधिकारी/बाल विकास परियोजना पदाधिकारी से संपर्क कर कार्य संबंधित जानकारी उपरांत कार्य संपादित करेंगे. प्लेट लग जाने से भविष्य में सर्वेक्षण कार्य आदि में सुविधा होगी.
इस मामले में सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार ने माना कि उनके कार्यालय से ऐसा आदेश निकला था. उन्होंने कहा कि इस तरह के काम में एनजीओ वाले हमें मदद करते है. बदले में वे कुछ मदद चाहते है. चूंकि स्लोगन वगैरह लिखने में खर्च काफी आता है. कई लोग अपने घरों पर लिखवाना भी नहीं चाहते है. इसलिए इस आदेश को कैंसिल कर दिया गया.
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