JoharLive Desk
नयी दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज जाेर देकर कहा कि इससे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और राष्ट्र निर्माताओं की इच्छा पूरी हुई है।
संसद के बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को श्री कोविंद ने दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में अपने अभिभाषण में कहा कि विभाजन के बाद बने माहौल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था “पाकिस्तान के हिंदू और सिख, जो वहां नहीं रहना चाहते, वे भारत आ सकते हैं। उन्हें सामान्य जीवन मुहैया कराना भारत सरकार का कर्तव्य है।” उन्होंने कहा ,“
मुझे प्रसन्नता है कि संसद के दोनों सदनों द्वारा नागरिकता संशोधन कानून बनाकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इच्छा को पूरा किया गया है।”
राष्ट्रपति ने कहा कि पूज्य बापू के इस विचार का समर्थन करते हुए, समय-समय पर अनेक राष्ट्रीय नेताओं और राजनीतिक दलों ने भी इसे आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा, “ हमारे राष्ट्र निर्माताओं की उस इच्छा का सम्मान करना, हमारा दायित्व है। ”
नागरिकता संशोधन कानून के बाद इस बारे में विभिन्न रिपोर्टों के मद्देनजर स्थिति स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि वह साफ शब्दों में कर रहे हैं कि भारत में आस्था रखने वाले और भारत की नागरिकता लेने के इच्छुक दुनिया के सभी पंथों के व्यक्तियों के लिए जो प्रक्रियाएं पहले थीं, वे आज भी वैसी ही हैं।
श्री कोविंद ने कहा कि सभी इस बात के साक्षी हैं रहे हैं कि समय के साथ पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर होने वाला अत्याचार बढा है। हाल ही में ननकाना साहिब में जो हुआ उसे सभी ने देखा है। उन्होंने कहा , “हम सभी का यह दायित्व है कि पाकिस्तान में हो रहे अत्याचार से पूरा विश्व परिचित हो।” पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार की निंदा करते हुए उन्होंने विश्व समुदाय से इसका संज्ञान लेने और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया।