Joharlive Desk
नई दिल्ली। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच तीन दौर की बातचीत सहित कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से हुई गहन वार्ता के बाद चीन ने 10 भारतीय जवानों को रिहा कर दिया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इन जवानों को 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवां घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद चीनी सेना ने हिरासत में लिया था।
पीटीआई के मुताबिक, इन 10 जवानों में दो सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं। ये सभी लोग गुरुवार को भारतीय सीमा में आ गए। गौरतलब है कि तीन दिन पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुई हिंसक झड़प में एक कर्नल सहित सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे।
दोनों पक्षों के बीच बढ़े तनाव के बीच सैनिकों की सुरक्षा को देखते हुए इन वार्ताओं की जानकारी को बाहर नहीं आने दिया गया। इसको लेकर सरकार ने कोई जानकारी साझा नहीं की थी। भारतीय सेना और विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को बस इतना कहा था कि गलवां घाटी में हुई हिंसक झड़प में कोई भी भारतीय जवान गायब नहीं हुआ था।
गलवां घाटी में पेट्रोल प्वाइंट 14 पर, भारतीय और चीनी प्रतिनिधि मंडल द्वारा तीन दौर की चर्चा के बाद इन 10 जवानों को रिहा किया गया है। भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व मेजर जनरल अभिजीत बापट ने किया था। लेह स्थित 3 इन्फेंट्री डिविजन के कमांडर मेजर जनरल अभिजीत बापट और उनके चीनी समकक्ष ने गुरुवार को तीसरी बार मुलाकात की।
इन बैठकों का आयोजन सीमा पर तनाव की स्थिति को कम करने के लिए किया गया था। मई की शुरुआत में विवाद शुरू होने के बाद से दोनों वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सात बार मिल चुके हैं।
मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि रिहा होने के बाद इन सभी जवानों को चिकित्सा जांच के लिए भेजा गया। इसके बाद अधिकारियों ने इनसे पकड़े जाने के बाद हुई कार्रवाई को लेकर पूछताछ की।
आखिरी बार चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों को 1962 में पकड़ा था, जिस दौरान दोनों देशों के बीच सीमा युद्ध हुआ था। 500 से अधिक सैनिकों के बीच सोमवार रात सात घंटे की हिंसक झड़प में सेना के 20 जवान शहीद हुए। आखिरी बार चीन के साथ 1975 में हुई हिंसक झड़प में सेना के जवान शहीद हुए थे।