Joharlive Desk
बीजिंग : चीन अपने दक्षिण पूर्व तट पर अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करने में जुट गया है। चीन को डर सता रहा है कि ताइवान उस पर आक्रमण कर सकता है। सैन्य पर्यवेक्षकों और सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है। चीन और ताइवान के बीच हाल के समय में विवाद बढ़ गया है। बताते चलें कि चीन के साथ उसके किसी भी पड़ोसी देश के रिश्ते बेहतर नहीं है। ताइवान को चीन अपने ही देश का हिस्सा बताता है और उस पर हुकूमत चलाने के प्रयास में लगा रहता है। पिछले दिनों जब से अमेरिका और ताइवान के बीच दोस्ती बढ़ी है, उससे चीन की नींद ख़राब हो गई है। चीन को उसके सूत्रों ने बताया कि, ताइवान उस पर हमला कर सकता है। हमले के खौफ के बीच पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अपने मिसाइल बेस को अपग्रेड करने लग गई है। इस बीच जानकारी सामने आ रही है कि, चीन ने अपने दक्षिण पूर्व तट पर सबसे अत्याधुनिक हाइपरसोनिक मिसाइल DF-17 को तैनात कर दिया है।
चीन के दक्षिण पूर्व क्षेत्र में पिछले कई दशकों से DF-11 और DF-15 मिसाइल तैनात हैं। इसकी जगह है DF-17 हाइपरसोनिक मिसाइल लेंगी। सूत्रों के अनुसार, यह नई मिसाइल की अधिक दूरी तक एक दम सटीक वार कर सकती है। इस मिसाइल को पिछले वर्ष अक्टूबर माह में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चीन की स्थापना के 70 वर्ष पूरे होने पर नेशनल डे परेड में शामिल किया गया था। जिसे पहले बार दुनिया ने देखा था, इस मिसाइल की मारक क्षमता 2,500 किलोमीटर हैं। गौरतलब है कि, चीन ताइवान को अपना ही एक अलग प्रान्त मानता है, जिसे वो वापस लेने की वो कसम खा चुका है।
चीन और ताइवान के बीच रिश्ते वर्ष 2016 से ख़राब होने तब शुरू हो गए जब प्रोग्रेसिव पार्टी की अध्यक्ष त्सई इंग-वेन डेमोक्रेटिक चुनी गईं। उन्होंने एक चीन के सिद्धांत को मानने से साफ़ इंकार कर दिया। पिछले दिनों ताइवान और अमेरिका के बीच में भी हथियारों को लेकर कई बड़े सौदें हुए हैं। इसे लेकर भी चीन ताइवान से नाराज है, चीन यह भी जानता है कि, ताइवान और अमेरिका की दोस्ती आगे बढ़ गई तो चीन उस पर कभी कब्ज़ा नहीं कर पायेगा।