हजारीबागः इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा कि आजादी के कई वर्षों बाद भी बच्चों को आज भी शिक्षा पाने के लिए अपनी जान को जोखिम में डालना पड़ रहा है. ये तस्वीर दूसरे राज्य या देश की नहीं बल्कि झारखंड के हजारीबाग जिले के केरेडारी प्रखंड के लोहरा गांव की है. इस तस्वीर में साफ तौर पर दिखायी दे रहा है कि बच्चे किस तरह से उफनती नदी को पार कर स्कूल जा रही हैं. लोहरा गांव चतरा जिले के कोयलांचल नगरी टंडवा के निकट पड़ता है.

इतना ही नहीं,यहां के लोगों को इलाज के लिये भी कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन सब बातों से न तो सरकार को कोई फिक्र है और न ही स्थानीय प्रशासन को. देश व राज्य को अरबों रुपए का जिस जिले से राजस्व संग्रहण हो रहा हो तथा डीएमएफटी मद में भी हजारों करोड़ का कोष संग्रहण हो रहा हो उस जिले की यह हालत है.

क्या कहते हैं शिक्षक

आपको बता दें हजारीबाग जिला अंतर्गत केरेडारी प्रखंड मुख्यालय से लगभग 20 किमी उत्तर-पूर्व में बसा सुदूरवर्ती लोहरा नामक गांव जहां बहुतायत आदिवासी परिवार के लोग रहते हैं. जानकारी देते हुए चतरा जिला स्थित टंडवा प्रखंड के हेसातु विद्यालय के (राजकीय सम्मान प्राप्त) शिक्षक बिनेश्वर महतो बताते हैं कि लोहरा गांव में मिडिल स्कूल से शिक्षा पाने बाद आगे की पढ़ाई के लालायित विद्यार्थियों का संघर्ष शुरू हो जाता है. वे लोहरा गांव से करीब 5 किमी की दूरी तय कर उनके विद्यालय में सभी पढ़ने के लिये आते हैं. इसी दौरान रास्ते में पड़ने वाले लोहरा नदी से बरसात के दिनों में उन्हें सर्वाधिक विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है.

बारिश होने पर बच्चे काफी दिनों तक अनुपस्थित रहते हैं

आगे शिक्षक श्री महतो बताते हैं कि बरसात के दिनों लगातार बारिश होने पर बच्चे विद्यालय में लंबे दिनों तक जहां अनुपस्थित रहते हैं. वहीं, अगर दुर्भाग्यवश बारिश स्कूल आने के बाद जब हो जाये तब हेसातु गांव में हीं या तो शरण लेते हैं या फिर ज्यादातर लोग जोखिम तक उठा लेते हैं. ऐसे में वर्षों से विकास की बाट जोह रहा लोहरा नदी पर पुल और सड़क का निर्माण अगर हो जाय तो आदिवासी बहुल गांव के विद्यार्थियों समेत स्थानीय निवासियों के विकास में काफ़ी सहायक सिद्ध होगा.

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