रांची। राजधानी सहित राज्यभर में 46803 म्यूटेशन के मामले पेंडिंग हैं। इनमें बिना ऑब्जेक्शन के भी हजारों आवेदनों को 30 दिनों से अधिक समय से पेंडिंग रखा गया है। इसको लेकर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने सभी जिलों के डीसी को निर्देश दिया कि म्यूटेशन के आवेदनों का निबटारा तेजी से करें। इसके अलावा मुख्य सचिव ने खतियानी रैयत के उत्तराधिकारियों के बीच आपसी बंटवारा के आधार पर दाखिल-खारिज के लिए प्राप्त आवेदन के निष्पादन के लिए विशेष अभियान चलाने कहा।
इस संबंध में सभी जिलों के डीसी को लिखे पत्र में कहा गया है कि अपने-अपने जिलों के लिए माइक्रोप्लान तैयार करें। उसे एक सप्ताह के अंदर उपलबध कराएं। इसके अलावा जून-जुलाई माह 2022 तक सारे म्यूटेशन के पेंडिंग आवेदनों का निपटारा करने का निर्देश मुख्य सचिव ने दिया है।
झारखंड में अभी तक 617191 म्यूटेशन के आवेदन रिजेक्ट किए जा चुके हैं. राज्य के लगभग सभी जिलों में अंचलाधिकारियों ने खूब आवेदन रिजेक्ट किए हैं। इसको लेकर मुख्य सचिव ने कहा है कि अधिकतर जिलों में म्यूटेशन आवेदन रिजेक्ट करने के केस की संख्या बहुत अधिक है। इससे ऐसा प्रतित होता है कि लंबित मामलों की संख्या कम करने के लिए किया गया है।
मुख्य सचिव ने सभी डीसी को निर्देश दिया है कि जांच के बाद पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही म्यूटेशन के आवेदन रिजेक्ट किए जाने चाहिए. मालूम हो कि कई बार सही आवेदन को भी रिजेक्ट कर दिए जाने से आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सीओ के रिजेक्ट करने के बाद डीसीएलआर के यहां मामला ले जाना पड़ता है। इसमें बेकार में काफी समय व पैसे की भी बर्बादी होती है।