रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में अवैध खनन और परिवहन में रेलवे के अधिकारियों की संलिप्तता का बड़ा आरोप लगाया है। बुधवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री ने बताया है कि साहिबगंज समेत अन्य जिलों में अवैध खनन को बढ़ावा देने में रेलवे और इनके पदाधिकरियों की मिलीभगत प्रतीत होती है।उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने इसकी जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति के गठन का निर्णय किया है। इसमें रेलवे से भी सहयोग की अपेक्षा है। फिलहाल अवैध खनन को रोकने में रेलवे के अधिकारी राज्य सरकार को सहयोग नहीं कर रहे हैं।
अवैध तरीके से खनिज सम्पदा का रेल मार्ग से हो रहा परिवहनमुख्यमंत्री सोरेन का कहना है कि साजिश के तहत रेलवे द्वारा झारखंड के जेआइएमएमएस पोर्टल से अपने पोर्टल एफआइओएस का एकीकरण नहीं किया जा रहा है। बगैर चालान और फर्जी चालान के आधार पर अवैध तरीके से खनिज संपदा का रेल मार्ग से परिवहन किया जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में राज्य सरकार ने अवैध खनन एवं इसके परिवहन में रेलवे पदाधिकारियों की संलिप्तता और अन्य सभी संबंधित बिंदुओं की जांच के लिए उच्चस्तरीय जांच समिति के गठन का निर्णय किया है।
मुख्यमंत्री ने पत्र में रेल मंत्री से रेलवे के पदाधिकारियों को इस उच्चस्तरीय जांच समिति को पूरा सहयोग करने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया है।सड़क मार्ग पर निगरानी, आनलाइन व्यवस्था से हो रहा कार्यमुख्यमंत्री ने पत्र में बताया है कि सरकार ने लगातार बैठकों के माध्यम से निर्देश जारी करने, सघन छापामारी अभियान चलाने और प्राथमिकी दर्ज करने, जिला एवं राज्य स्तरीय टास्क फोर्स से सतत निरीक्षण, सूचना तकनीक का उपयोग करते हुए पूर्णत: आनलाइन माध्यम से खनिज प्रबंधन के लिए झारखंड इंटीग्रेटेड माइंस एंड मिनरल्स मैनेजमेंट सिस्टम (जेआइएमएमएस) प्रणाली को प्रभावी किया है।
जिसके माध्यम से आनलाइन परमिट, ई-चालान, आनलाइन भुगतान होता है। अवैध खनन को सबसे अधिक सहयोग परिवहन करने वालों से मिलता है, क्योंकि बिना परिवहन की सुविधा के कोई भी व्यक्ति खनिज का अवैध खनन नहीं करेगा। सड़क मार्ग से खनिज परिवहन की उचित निगरानी की जा रही है।रेलवे से नहीं मिल रहा सहयोगमुख्यमंत्री ने पत्र में जिक्र किया है कि रेलवे द्वारा अवैध खनन के परिवहन की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों में राज्य को कोई सहयोग नहीं किया जा रहा है।
राज्य सरकार और इसके पदाधिकारियों के द्वारा रेलवे से अनेकों बार पत्राचार करने के बावजूद बिना चालान के खनिज संपदा के परिवहन के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। अनुरोध के बावजूद रेलवे द्वारा लौह अयस्क को छोड़कर किसी भी अन्य खनिज संपदा के लिए जेआइएमएमएस पोर्टल में इंटीग्रेट नहीं किया गया है। राज्य सरकार ने इस विषय को भारत सरकार के नीति आयोग, पूर्वी क्षेत्रीय परिषद एवं कोयला मंत्रालय की बैठकों में भी उठाया है। कोयला मंत्री से साथ बैठक में व्यक्तिगत अनुरोध के बावजूद कोयला का परिवहन अभी भी रेलवे के द्वारा जेआइआइएमएस पोर्टल से समायोजन के बगैर किया जा रहा है।
एफआइओएस प्रणाली से जोड़ा जाएमुख्यमंत्री ने रेल मंत्री से आग्रह किया है कि राज्य सरकार के पोर्टल के द्वारा जारी वैध चालान के बिना कोई भी खनिज का परिवहन नहीं हो, इसको सुनिश्चित करने और अविलंब पोर्टल से रेलवे के प्रणाली को जोड़ने की कार्रवाई की जाए ताकि अवैध खनन से राज्य मुक्त हो सके और झारखंड देश के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दे सके।