रांची. झारखंड सरकार ने कोयला के बकाये को लेकर केंद्र सरकार और कोयला कंपनियों पर हमला बोला है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में कोयला कंपनियों पर 1.36 लाख करोड़ बकाया होने की बात कहते हुए सरकार के द्वारा इसकी वसूली सुनिश्चित कराने के लिए पहल करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि यदि झारखंड सरकार का यह पैसा कोयला कंपनियां नहीं देंगी तो कोयला ढुलाई पर ताला लग जाएगा. सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि डीवीसी के बहाने केंद्र सरकार ने आरबीआई के राज्य कंसोलिडेटेड फंड से 3,000 करोड़ काटने का काम किया है. उन्होंने कहा कि कोल कंपनियों के पास राज्य का 1.36 लाख करोड़ रुपये बकाया है, इसका राज्य को जल्द भुगतान किया जाये. ऐसा नहीं होने पर हम कोयला राज्य से बाहर नहीं जाने देंगे, ताला लगा देंगे. उन्होंने कहा कि कोयला कंपनियों से हर हाल में बकाया लेकर रहेंगे.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया कि उन्होंने केंद्रीय कोयला मंत्री से कहा था कि एक करोड़ तक का ठेका स्थानीय लोगों को देने की योजना बने. इसके बाद समिति का गठन हुआ और स्थानीय विस्थापितों को कॉन्ट्रैक्ट देने की सिफारिश हुई है. देर शाम तक सदन की कार्यवाही के दौरान मुख्यमंत्री के संबोधन में स्थानीयता पर कोई स्पष्ट घोषणा नहीं होने पर राजनीति शुरू हो गई है. सदन के बाहर सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक मुख्यमंत्री पर हमला बोलते नजर आए. विपक्ष के तेवर जहां तल्ख थे, वहीं सत्तारूढ़ जेएमएम कांग्रेस के विधायक नरम ही सही मगर खतियान आधारित स्थानीयता पर अपना अपना तर्क देने में जुटे रहे.

बजट सत्र के दौरान सदन में 1,070 प्रश्न आए, जिसमें 973 प्रश्नों का जवाब विभाग द्वारा दिया गया. 97 प्रश्नों का जवाब विभाग के पास लंबित रहा. स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो ने सदन की कार्यवाही लंबे समय तक चलाने में सहयोग करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया. अंत में एक महीने तक चले इस बजट सत्र की समापन की घोषणा करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की.

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