चेन्नई : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री व डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लागू नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) संविधान के सिद्धांतों के विपरीत है. मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि उनके नेतृत्व में तमिलनाडु में सीएए लागू नहीं किया जाएगा.
स्टालिन ने एक प्रेस विज्ञप्ति में यह टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने सीएए की तीखी आलोचना करते हुए तर्क दिया कि यह कुछ धार्मिक समूहों के खिलाफ भेदभाव करता है और भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को कमजोर करता है. स्टालिन ने कहा, “सरकार का दृढ़ विश्वास है कि लोगों के बीच विभाजन पैदा करने वाले इस अधिनियम से कोई लाभ नहीं मिलेगा और यह पूरी तरह से अनावश्यक है. इसे निरस्त किया जाना चाहिए क्योंकि यह केवल भारत के लोगों को कष्ट देगा.”
उन्होंने कहा, ”मैं इस समय तमिलनाडु के लोगों को दृढ़ता से बताना चाहता हूं कि तमिलनाडु सरकार किसी भी तरह से केंद्र सरकार द्वारा लागू नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करने की अनुमति नहीं देगी, क्योंकि इससे एकता को नुकसान होगा.” मुख्यमंत्री ने कहा, ”देश और तमिलनाडु सरकार राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी कानून को शामिल नहीं करेगी.’
बता दें कि, केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सोमवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए)-2019 को लागू करने की घोषणा की. विवादास्पद कानून को पारित किये जाने के चार साल बाद केंद्र के इस कदम के कारण पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने का रास्ता साफ हो गया है. लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की संभावित घोषणा के पहले ही सीएए से जुड़े नियमों को अधिसूचित कर दिया गया.
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