Joharlive Team
रांची। नहाय-खाय के साथ गुरुवार को लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू हो गया। शुद्धता-पवित्रता के इस पावन पर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान के पहले दिन व्रतियों ने नहाय-खाय के साथ छठी मइया से मंगलकामना की। घरों में तालाबों-नदियों से जल भरकर लाए गए। इसके बाद स्वच्छता से प्रसाद बनाया गया। शुक्रवार को लोहंडा का प्रसाद ग्रहण करने के बाद छठव्रतियों का 48 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा। शनिवार शाम को भगवान भाष्कर के अस्ताचलगामी स्वरूप को अर्ध्य दिया जाएगा। रविवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद चार दिनों के अनुष्ठान का समापन होगा। चार दिनों तक छठव्रतियों के साथ-साथ शहर भी मन, वचन और कर्म से सात्विक हो जाएगा। सूर्यदेव और छठी मइया की आराधना को लेकर नदी-तालाब घाटों के अलावा मुहल्ले और सड़कें भी जगमग हो गई हैं।
छठ पर्व और सूर्य उपासना
छठ पूजा में अस्तगामी और उदयगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। साल में दो बड़े अवसरों पर सूर्यदेव की आराधना और पूजा पाठ करने का विधान होता है। पहला चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी और दूसरा कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को। छठ पूजा चार दिनों तक चलता है। छठ पूजा में व्रती महिलाएं अपने लिए छठी मइया से सूर्य जैसा प्रतापी और यश को प्राप्त करने वाली संतान की प्रार्थना करती हैं।