छठ एक ऐसा पर्व है जिसमे कहा जाता है कि गलती से भी गलती नही हो। बिहार से निकलकर आज पूरा विश्व मे मनाया जाने वाला पर्व छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र माह और दूसरा कार्तिक मास में। हालांकि कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाये जाने वाला छठ पर्व मुख्य माना जाता है। चैत्र माह में मनाया जाने वाला यह पर्व चैती छठ कहा जाता है। इसे कष्ठईं छठ भी कहा जाता है। सूर्य से समय उच्च के होते हैं, यह व्रत मुख्य रूप में भगवान भास्कर के पूजा के रूप में मनाया जाता है। कुंडली में जिनका भी सूर्य खराब हो, बुरा फल दे रहे हो, चर्म रोग हो या आँख से संबंधित किसी भी प्रकार का ब्याधि हो इस व्रत को करना चाहिए। खास कर जिन्हे संतान नही हो यह पावन पर्व जरूर करें। यह व्रत किसी भी उम्र या जात के लोग कर सकते हैं। प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि इस वर्ष आज के दिन रवियोग होने से इस व्रत का महत्व बहुत ही ज्यादा हो गया है। इस साल चैती छठ पर्व 05 अप्रैल 2022, मंगलवार को नहाय- खाय से प्रारंभ होकर 08 अप्रैल, शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होगा।
पौराणिक कथानुसार, छठी मैय्या को भगवान सूर्य की बहन कहा जाता है। मान्यता है कि छठ महापर्व में छठी मैय्या व भगवान सूर्य की पूजा करने से छठी मैय्या प्रसन्न होती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से घर में सुख-शांति और संवृद्धि आती है। संतान की कामना करने वाली महिलाओं के लिए यह व्रत उत्तम माना गया है।
छठ पूजा की तिथियां
05 अप्रैल मंगलवार – नहाय-खाय से प्रारंभ
06 अप्रैल बुधवार – खरना (खीर भोजन)
07 अप्रैल गुरुवार – सूर्य देव की संध्या अर्घ्य
08 अप्रैल शुक्रवार – सूर्य देव का प्रातः अर्घ्य
अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त
संध्या अर्घ्य 07 अप्रैल साम 05:30 PM
सूर्योदय का प्रातः अर्घ्य – 08 अप्रैल, 06:40 AM
आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम, अरगोड़ा राँची
8210075897