Joharlive Desk
नई दिल्ली। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के साथ गतिरोध के लिए चीन की सुनियोजित योजना (गेम प्लान) में दबाव, धोखा, दुष्प्रचार और इसकी दीर्घकालिक विस्तारवादी नीतियों को जारी रखने का संयोजन शामिल होगा। इसका अनुमान दिल्ली नीति समूह (डीपीजी) द्वारा लगाया गया है, जो कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हित के रणनीतिक और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत के सबसे पुराने थिंक टैंकों में से एक है। इसमें दोनों देशों के सीमा से जुड़े मुद्दों पर सेना के वरिष्ठ कमांडरों, विदेश मंत्रियों, मंत्रालयों और विशेष प्रतिनिधियों के बीच विभिन्न बैठकों में निकले नतीजे से अनुमान लगाया गया है।
डीपीजी में कूटनीति विशेषज्ञ एवं पूर्व राजदूत नलिन सूरी ने ‘गलवान के बाद चीन के हाव भाव’ विषय पर अपने पत्र (पेपर) में कहा कि पूर्वी लद्दाख में भारतीय सैनिकों पर चीनी सैनिकों द्वारा बिना किसी कारण किए गए क्रूर, अवैध और घातक हमले के छह हफ्ते बाद वहां स्थिति तनावपूर्ण और नाजुक बनी हुई है।
भारत और चीन ने लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र में पीछे हटने के मामले में कोई उन्नति नहीं की है, जहां दोनों पक्षों ने अपने सुरक्षा बलों को तैनात कर रखा है।
सूरी ने अपने पेपर में कहा, चीन की अपनी खुद की बनाई हुई स्थिति से अपने आपको निकालने की योजना है, जिसमें उसके साथ पाकिस्तान के अलावा कोई और दोस्त नहीं है।
इसके साथ ही चीन दबाव, धोखे, दुष्प्रचार के साथ ही अपने दीर्घकालिक और लंबे समय से प्रायोजित उद्देश्यों को भी छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। वह अपनी विस्तारवादी नीति पर भी बने रहना चाहता है।
पूर्व राजनयिक ने भविष्यवाणी की है कि बीजिंग जोर देकर कहेगा कि वह अपने क्षेत्र में है और अपनी यथास्थिति का ही बचाव कर रहा है। उन्होंने कहा कि चीन भारतीय सैनिकों पर हमलावर होने का आरोप लगाते हुए कहेगा कि वह हर हाल में केवल अपनी स्थिति का बचाव कर रहा है।
चीन इस बात पर भी जोर देगा कि भारत को अपनी स्थिति से समझौता करना होगा।
सूरी ने कहा, भारत को गलत तरीके से भांपने, मौजूदा स्थिति की रणनीतिक गणना नहीं करने और अपने क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए चीन के ²ढ़ संकल्प को कम नहीं आंकने के लिए बार-बार चेतावनी दी जाएगी।
भारत में चीनी राजदूत सुन वेइदॉन्ग ने 10 जुलाई को इस बारे में चेतावनी दी और 30 जुलाई को नई दिल्ली में एक सार्वजनिक मंच पर अपनी बात दोहराई थी।
डीपीजी पेपर ने कहा गया है कि चीन भारत और अमेरिका के साथ अन्य चार देशों के गठजोड़ (क्वॉड) पर भी चिंतित है। यह गठजोड़ हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी नीतियों का मुकाबला करने के लिए है, जिसे लेकर चीन चिंतित है।
इसके अलावा ट्रंप प्रशासन और चीन के बीच बढ़ते अविश्वास से बीजिंग रूस की तटस्थता को लेकर भी चिंतित हो सकता है।
परिणामस्वरूप, सूरी ने कहा कि चीन नई दिल्ली पर यह दावा करके भी दबाव डालेगा कि भारत पर इन सबका काफी आर्थिक प्रभाव पड़ेगा।