Joharlive Team
रांची। एक नवंबर से कंटेनमेंट जोन के बाहर स्थित होटल, रेस्तरां और बार के शुरू होंगे। इसके साथ ही संचालकों पर एकमुश्त बार लाइसेंस शुल्क जमा कराने का बोझ होगा। इस उत्पन्न होने वाली कठिनाईयों के समाधान के लिए शुक्रवार को फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे को पत्राचार किया है।
चैंबर महासचिव धीरज तनेजा ने कहा है कि बार लाइसेंसधारियों को मौखिक रूप से पूरे एक वित्तिय वर्ष का लाइसेंस शुल्क जमा करने की बात कही गई है। जिस कारण बार संचालक अपना व्यापार आरंभ करने में असमर्थता महसूस कर रहे हैं। लाॅकडाउन के बाद 22 मार्च से 31 अक्टूबर तक सरकार की अनुमति से ही ये व्यापार बंद रहे हैं। ऐसे में जिन्होंने पूर्व में वित्तिय वर्ष 2020-21 का लाइसेंस शुल्क जमा नहीं कराया है। उन्हें लाॅकडाउन की अवधि का भी 1 अप्रैल से अक्टूबर तक शुल्क जमा कराने की बात करने से व्यापारी चिंतित हैं।
धीरज तनेजा ने कहा कि सरकार की अनुमति से ही पिछले छह माह से बंद रहे बार के संचालकों की तरफ से इस अवधि में भी बिना किसी व्यापार के दुकान का किराया, अपने कर्मचारियों का वेतन, बिजली बिल खर्च सहित अन्य दैनिक खर्चों का वहन किया गया है। ऐसे में व्यापार शुरू करने के साथ ही एकमुश्त लाइसेंस शुल्क का भुगतान करना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है, जिस पर सरकार को सहानुभूतिपूर्वक चिंतन करने की जरूरत है।
धीरज तनेजा ने कहा कि लाॅकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था को गति देने के उद्देश्य से केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से हर क्षेत्र में व्यापार और उद्योग जगत को प्रोत्साहित किया जा रहा है। ऐसे में बार संचालकों को भी प्रोत्साहन देने पर विचार करना हितकर होगा। चैंबर ने आग्रह किया कि जिन लाइसेंसधारियों ने वित्तिय वर्ष 2020-21 का शुल्क जमा नहीं कराया है। ऐसे बार संचालकों से केवल 1 नवंबर 2020 से 31 मार्च 2021 तक ही लाइसेंस शुल्क लेने का निर्देश जारी करें। साथ ही जिन्होंने वित्तिय वर्ष 2020-21 का शुल्क पूर्व में ही विभाग में जमा करा दिया है. उनके लाॅकडाउन की अवधि के शुल्क का समायोजन अगले वित्तिय वर्ष 2021-22 के लाइसेंस नवीनीकरण के दौरान करने की व्यवस्था की जाए।