महापर्व चैती छठ नहाय खाय के साथ आज से शुरू हो गया है। कैलेंडर के अनुसार, साल में दो बार छठ का पर्व मनाया जाता है। पहला चैत्र में और दूसरा कार्तिक मास में पड़ता है। हर एक छठ का अपना-अपना महत्व है। चैती छठ का पर्व मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड आदि राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। अर्घ्य देने के साथ समाप्त होती है। जानिए नहाय खाय से लेकर सूर्यदेव को अर्घ्य देने तक का समय।
चैती छठ की शुरुआत चैत्र मास की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ शुरू हो रही है, जो 28 मार्च को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होंगे।
सूर्यदेव की मानस बहन हैं छठी मइया
फिलहाल, मौसम का तापमान अनुकूल बना हुआ है और उम्मीद की जा रही है कि इस बार चैती छठ पूजा में व्रतियों को बहुत अधिक पीड़ादायक गर्मी का प्रकोप नहीं झेलना पड़ेगा। मनीषियों ने चैती छठ पर्व को प्रकृति का त्योहार बताया है। कहते हैं कि इसमें अपनाए जाने वाले सभी रीति-रिवाज हमें प्रकृति से जोड़ते हैं। इस दौरान व्रती प्रकृति की गोद में उपजे बांस से बनी सुपली में फल रखकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे।
त्योहार की धार्मिक मान्यता को लेकर आचार्य अमरेंद्र कुमार मिश्र उर्फ साहेब पंडित ने बताया कि छठी मइया सूर्यदेव की मानस बहन हैं। महिलाएं इस व्रत को अपनी संतान की लंबी आयु के लिए रखती हैं, ऐसा माना जाता है कि छठी मईया संतान की रक्षा करती हैं।
25 मार्च 2023, शनिवार को नहायखाय
शनिवार को नहाय-खाय के साथ महापर्व की शुरुआत होगी। नहाय-खाय के दिन पूरे घर की साफ-सफाई की जाती है और स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन श्रद्धालु चने की सब्जी, चावल, साग आदि का पारण करेंगे। अगले दिन खरना से व्रत की शुरुआत हो जाएगी।
26 मार्च 2023, रविवार को खरना
रविवार को खरना के दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं। शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं और फिर सूर्यदेव की पूजा करने के बाद वह प्रसाद ग्रहण करती हैं। लेकिन कहीं-कहीं लोक मान्यताओं के अनुसार महिलाएं नवमी पूजा किए जाने को लेकर चैत्र नवरात्रि में कड़ाही नहीं बैठाती हैं, सो गुड़ रोटी का ही प्रसाद ग्रहण करेंगी।
27 मार्च 2023, सोमवार को संध्या अर्घ्य
मनीषियों के मुताबिक षष्ठी तिथि 27 तारीख (सोमवार) को है। इस दिन व्रती महिलाएं नदी, पोखर या कृत्रिम तालाब में खड़ी होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। पंचांग के अनुसार मनीषियों ने बताया कि संध्या में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने का समय 4:30-6:00 बजे तक का है।
28 मार्च 2023, मंगलवार को सूर्योदय अर्घ्य व पारण
सप्तमी तिथि को चैती छठ का समापन किया जाता है जो 28 तारीख (मंलवार) को है। हालांकि, महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी, तालाब, पोखर आदि के पानी में उतर जाती हैं और सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं। फिर उगते सूर्यदेव को अर्घ्य दिए जाने के बाद पूजा का समापन कर व्रत का पारण किया जाता है। आचार्य ने बताया कि प्रातःकाल में सूर्य भगवान को अर्घ्य देने का समय 5:45-6:10 बजे तक का है।