रांची : छठ नहाय खाय के साथ आज से चैती महापर्व शुरू हो गया है. प्रकृति पूजा और लोक आस्था का महापर्व छठ पूरे देश में प्रसिद्ध है. पंचांग के अनुसार यह चैत्र मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. यह चार दिनों का महापर्व है जिसमें पहले दिन की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इस तरह आस्था का महापर्व छठ साल में दो बार मनाया जाता है. यह त्यौहार चार दिनों तक चलता है. चार दिनों तक लगातार पूजा और व्रत रखने के कारण इसे महापर्व कहा जाता है.

शनिवार को खरना होगा

आज चैत्र शुक्ल चतुर्थी शुक्रवार को रोहिणी नक्षत्र और आयुष्मान योग में नहाय-खाय के साथ महापर्व शुरू हो रहा है. 13 अप्रैल को मृगशिरा नक्षत्र और सौभाग्य व शोभन योग के संयोग के कारण व्रती पूरे दिन निराहार रहेंगे और शाम को खरना की पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगे. खरना की पूजा के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा. 14 अप्रैल चैत्र शुक्ल षष्ठी को आर्द्रा नक्षत्र और गर करण के संयोग में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देकर और 15 अप्रैल को पुनर्वसु नक्षत्र और सुकर्मा योग के दौरान अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर श्रद्धालु पूरी तपस्या और भक्ति के साथ इस महाव्रत को पूरा करेंगे. उगते सूर्य को अर्घ दें.

अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य

रविवार 14 अप्रैल को छठव्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे. अर्घ्य देने का शुभ समय शाम 5:20 से 5:55 बजे तक रहेगा. इस दिन छठी मैया का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे या ईंट के चूल्हे पर बनाया जाता है. ठेकुआ बनाया जाता है और उसके बाद मौसम के अनुसार फल दउरा बनाया जाता है और शाम होते ही छठव्रती के साथ-साथ पूरा परिवार छठ घाट पर पहुंचता है.

उदयीमान भगवान भास्कर को ऐसे दें अर्घ्य

दूसरे दिन सोमवार 15 अप्रैल की सुबह छठ वर्ती अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे. इसके साथ ही महापर्व का समापन हो जायेगा. सूर्य देव को अर्घ्य देने का शुभ समय सुबह 5:45 बजे से 5:55 बजे तक है.

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