JoharLive Desk
नई दिल्ली। मंगलवार को यहां आयोजित केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने की मंजूरी दे दी गई। एनपीआर में भारत में रहने वालों से 15 जानकारी मांगी जाएगी और जनगणना के डाटाबेस को अपडेट किया जाएगा। इन आंकड़ो पर अप्रैल 2020 से काम शुरू होना है।
एनपीआर अपडेशन के लिए कैबिनेट ने 8500 रुपए के फंड आवंटन को भी स्वीकृति दे दी है। इसमें देश के नागरिकों का डेटा होगा, लेकिन यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा। एनपीआर के लिए डेटा वर्ष 2010 में तभी एकत्र किया गया था, जब 2011 की जनगणना के लिए आंकड़े जुटाए गए थे। इस डेटा को 2015 में अपडेट किया गया था। इसका डिजिटाइजेशन भी पूरा हो गया है।
एनपीआर के तहत 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है। देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना इसका मुख्य लक्ष्य है। इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमीट्रिक जानकारी भी होगी। इसमें व्यक्ति का नाम, पता, शिक्षा, पेशा जैसी सूचनाएं दर्ज होंगी।
बंगाल और केरल एनपीआर का विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार एनपीआर के जरिए लोगों की निजी जानकारियां जुटा रही है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2010 में एनपीआर बनाने की पहल शुरू हुई थी। वर्ष 2020 तक असम को छोडक़र इसे हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में लागू करना है। हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि देश में एनपीआर को एनआरसी के लिए लागू किया जा रहा है।